Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 1
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 410
________________ - मार्गणा । उदय काल SA स्थान भंग १४२/ कुल भग उदय ३९५ ६. कर्म प्रकृतियो की उदय व उदयस्थान प्ररूपणाएं प्रमाण पंस उदय काल प्रकृतियोंका विवरण भगौंका विवरण गा | १३६ | उद्योत रहित कार्माण काल २१ तिर्य गति, पचेन्द्रिय जाति, तैजस कामणि शरीर, वर्ण, । पर्याप्तके साथ तो सुभग, यश पंचेन्द्रिय गन्ध, रस, स्पर्श, अगुरुलधु, त्रस, बादर, स्थिर, अस्थिर, | व आदेय इन तीन युगलोंमें-से शुभ, अशुभ, निर्माण, १६+सुभग-दुर्भग, यश-अयश, कोई भी एक-एकका उदय पर्याप्त-अपर्याप्त. आदेय-अनादेय इन ४ युगलोमें अन्य- सम्भव है अत् पर्याप्तके भग'तम एक-एक-२०+तिर्यगानुपूर्वी २४२४२-८ और अपर्याप्तके साथ केवल दुर्भग, अयश व अनादेयका एक भग ६ । मिश्रशरीर काल/२६ / २८१ । उपरोक्त २०+ औ शरीर, अंगोपांग, ६ सस्थानी में-से । उपरोक्त पर्याप्तके Ex६x६-२८८ अन्यतम, छ सहननोमें-से अन्यतम, उपधात, प्रत्येक । अपर्याप्तका उपरोक्त १ सपाटिका | व हुडकके साथ केवल १ भंग | शरीर पर्या काल २८७६ (२१ वाले स्थानकी उपरोक्त १६+ पर्याप्त, सुभग दुर्भग, पयप्तिके उपरोक्त २८८४२ यश-अयश, आदेय-अनादेयमै-से अन्यतम एक-एक | विहायोगति करके तीन, प्रशस्त या अप्रशस्त बिहायो. में अन्यतम. परघात, औ. शरीर, अंगोपाग, ६ संस्थानोमें अन्यतम. ६ सहननो में अन्यतम, उपघात, प्रत्येक -२८ १४७ उच्छवास पर्या. २६५७६ उपरोक्त २८+ उच्छ्वास -२६ काले भाषा पर्या काल|३० | १९५२ | उपरोक्त २६ + सुस्वर-दु स्वरमें अन्यतम -३० । उपरोक्त ५७६४२ स्वर-११५२ | २६०२ उद्योत सहित कार्माण काल २१ उद्यात रहित पंचेन्द्रिय बत परत्तु अपर्याप्तके भग रहित पिसिमित मानो १चेन्द्रिय मिश्र शरीर ,,२६२८८ उपरोक्त २१+ उपघात, प्रत्येक व६ सस्थान, ६ संहननमें उपराक्त २१+3 उपरोक्त ८x६x६ (सस्थान, अन्यतम सहनन) -२८८ शरीर पर्या. .. २६/६७६ उपरोक्त २६+ परधात, उद्योत, प्रशस्ताप्रशस्त विहायो. उपरोक्त२८८x२ बिहायो-५७६ में अन्यतम उच्छवास पर्या ३० १७६ उपरोक्त २६ + उच्छवास काल भाषा पर्या काल ३१११५२ / उपरोक्त ३०+सुस्वर या दुस्वर -३१ उपरोक्त ५७६xस्वर द्वय- १९५२ -- *(२१ व २६ वाले दोनोंके भग उद्योत रहित पंचेन्द्रियमें सर्व भंग -२० गिना दिये जानेसे पुनरुक्त है। अत यहाँ नही जोडे) ३ मनुष्य गति १५६ मनुष्य सामान्य-उदय योग्य-४६; उदय स्थान-११ (२०,२१,२५,२६,२७,२८,२६,३०,३१,८,९); कुल भग २६०४ १५७ आहारक शरीर रहित मनुष्य-उदय योग्य-४७उदय स्थान-५ (२१,२५,२८,२६,३०), कुल भग-२६०२ | कार्माण काल २१६ । मनुष्य गति, पंचं जाति तैजस कार्माण शरीर, वर्ण, । पर्याप्तके साथ तो सुभगादि तीन | गन्ध, रस, स्पर्श, अगुरुलघु, त्रस, बादर, स्थिर, अस्थिर, युगलोमे अन्यतम होते है २४ शुभ, अशुभ, निर्माण = १६+ सुभग-दुभंग, यश-अयश, २४२८८ भंग और अपर्याप्तके पर्याप्त अपर्याप्त, आदेय-अनादेयमें अन्यतम २०+ मनु. केवल दुर्भग, अयश व अनादेय आनु. -२१ सहित मिश्रशरीर काल २६ | २८६ | उपरोक्त २० (२१-आनु.)+ औदा. शरीर व अंगोपांग | पर्याप्तके उपरोक्त ६x६संस्था.x | उपधात, प्रत्येक, ६ संस्थान ब ६ सहननमें अन्यतम । ६संहनन-२८८ तथा अपर्याप्त का केवल उपरोक्त १ सृपाटिका व हूँ'डक सहित -२८४ शरीर पर्या,काल/२८ ५७६ २१ वाले स्थानमें उपरोक्त १६+पर्याप्त, परघात-१८+ सुभग यश, आदेय, संस्थान, सुभग-दुर्भग, यश-अयश, आदेय-अनादेय. ६ सस्थान, सहनन, विहायो; इन युगलों६ सहननमें अन्यतम, औ शरीर अगोपांग, उपधात, । के परस्पर गुणनसे २x२x२x प्रत्येक, अन्यतम बिहायो. |६x६x२ उच्छवास पर्या.२६ | ५७६ | उपरोक्त २८+ उच्छ्वास काल भाषा पर्या.काल ३० | १९५२ | उपरोक्त २६+ सुस्वर या दुस्वर -३० उपरोक्त ५७६ स्वरद्वय-१९५२ -२६ २६०२ जैनेन्द्र सिद्धन्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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