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उदय
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। अन्ध सढय सन्तकी त्रिसंयोगी स्थान प्ररूपणा
स्थान |
स्थान बन्ध | उदय सत्त्व
दय / सत्व
| गुण स्थान
५. मूल प्रकृति बन्ध,उदय व उदीरणा संबधी संयोगी प्ररूपणा। १ ज्ञानावरणीय ,-(पं. सं./प्रा. ५/८) (प.सं /प्रा. ७/२२७-२३१), (प स./स. ४/१२-६७), (शतक ३४-३७)
। गुण
| गुण उदय बन्ध
उदीरणा
स्थान
बन्ध कर्म | विशेषता कर्म विशेषता | कर्म विशेषता आठों
आठ। आयु में आवली |कर्म
कर्म मात्र शेष रहनेपर आयु
आठ आयु रहित ७व रहित
सात उससे पहले की
आठ
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२ दर्शनावरणी'-(पं.सं./प्रा. ५/६-१४)
स्थान गुण
उदय कर्म आयु वेदनीय | स्थान बन्ध
जागृत । सुप्तावस्था ६/ रहित
आयु आयु कर्म बन्ध का रहित ७ अभाव प्रारम्भ करने
की अपेक्षा है निष्ठापनकी अपेक्षा नहीं इसका बन्ध ६ठे में प्रारम्भ होकर व में पूरा हो सकता है उस अवस्थामें ८ प्रकृ
तिका बन्धक होगा ८७ कर्म आयु बिना
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| आयु वेदनीय
|८ उप.
| मोह व आयु बिना .,
उप
क्षप. आयु वेदनीय १० उप./
"क्षप
३
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सत्त्व
११ | ६ कर्म ईर्यापथ आस्रव ७, मोह रहित ५, | मोह रहित
मोह रहित १३३कर्म | वेदनीय, नाम गोत्र ४ | आयु नाम २ नाम, गोत्र का ईर्यापथ आनव कम गोत्र वेदनीय कम
४ अधातिया _ xlx
३ वेदनीय :-(पं.सं/प्रा./१६-२०) ८ बन्ध उदय सत्त्वकी त्रिसंयोगी स्थान प्ररूपणा
स्थान गुण
भग १ मलोत्तर प्रकति स्थानोंकी त्रिसंयोगी ओघ प्ररूपणा | स्थान
बन्ध
उदय (पं. सं./प्रा. ५/४-२१,२८१-२६६); (गो क. ६२६-६५६/८२६-८४८);
साता
साता (पं. स./सं.५/५-३२,३०७-३३६)
असाता १मल प्रकृतिकी अपेक्षा-(पं.सं/प्रा./४-६)
असाता
साता
असाता स्थान
____ स्थान
बन्ध बन्ध गुण
७-१३
साता
साता बद्धा- अबद्धास्थान
असाता साता असाता साता असाता
दोनों
अब
उदय
सत्व
उदय
यक
युवक
युष्क
साता असाता
आयु (देखो आगे पृथक् सारणी नं. २) मोहनीय (देखो आगे पृथक सारणी नं. ३-४) नाम (देखो आगे पृथक सारणी नं.)
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६
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