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उदय
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६. कर्म प्रकृतियोंकी उदय व उदयस्थान प्ररूपणाएं
मार्गणा
गुण
।
व्युच्छिन्न प्रकृतियाँ
अनुदय
पुन उदय । उदय अनुदय
पुन | कुल ,
| स्थान
। योग्य |
उदय उदय | च्छित्ति
|
२
| १२
अचक्षु दर्शन | उदय योग्य --तीर्थकर बिना सर्व १२२-१-१२१
मलोधवत अवधि दर्शन
सर्व विकल्प अवधिज्ञानवत केवल दर्शन
सर्व विकल्प केवलज्ञानवत १०. लेश्या मार्गणा--(गो क जी. प्र ६२५/४७०-४७४) कृष्ण लेश्या । -- | उदय योग्य --तीर्थङ्कर, आहा , द्वि., इन ३ के बिना सर्व १२२-३-११६ मिथ्यात्व, आसप, सूक्ष्म, साधारण, मिश्र. सम्य.-२)
११६ अपर्याप्त, नारकानुपूर्वी
-६ अनन्तानुबन्धी चतु., १-४ इन्द्रिय, स्थावर, देवत्रिक, तिर्यगानुपूर्वी, -१३ नोट-अशुभ लेश्यावाले भवन त्रिक
में भी न उपजे मिश्र मोह
- मनुष्यानुपू.-१ मिश्र -१
मनुष्यानु, अप्रत्या. चतु. नरकगति व आयु.,
२ वैक्रि. द्वि मनुष्यानुपूर्वी, दुर्भग,
सम्य, -२ अनादेय, अयश नील लेश्या
सर्व विकल्प कृष्ण लेश्यावत कापोत लेश्या उदय योग्य,-कृष्णव -११६
मिथ्यात्व, आतप, सूक्ष्म साधारण, | सम्य, मिश्र-२| अपर्याप्त अनन्ता. चतु.,१-४ इन्द्रिय, स्थावर, नारकानु.-१ देवत्रिक
-१२ मिश्र,
-१ | मनु तिर्य. | मिश्र.-१
आनु -२ अप्रत्या चतु, नरक त्रिक, वैकि, द्वि.,
मनु तिर्य, मनु. तिर्य , आनु., दुर्भग, अनादेय,
नारक-आनु, -१४ ।
सम्य =४ पीत व पद्मलेश्या - उदय योग्य --आतप, १-४ इन्द्रिय, स्थावर, सूक्ष्म, अपर्याप्त, साधारण, नरक त्रिक, तिर्यगानुपूर्वी, तीर्थकर इन
१४ के बिना सर्व १२२-१४- १०८ मिथ्यात्व
=१ सम्य , मिश्र, आ।
द्वि.,मनु आनु=५ | अनन्तानुबन्धी चतु., मिश्र.
.-३ | देवानुपूर्वी-१ | मिश्र.-१ | नरक त्रिक व तिर्य, आनु. इन ४ के
| सम्य., मनु | बिना मूलोधवत्
तिर्य आनु.-३'
- मुलोघवत् शुक्ल लेश्या
उदय योग्य .-आतप, १-४ इन्द्रिय, स्थावर, अपर्याप्त, साधारण, नारक त्रिक, तिर्य, आन. इन १३ के बिना सर्व
१२२-१३-१०६ १ मिथ्यात्व ___=१ | सम्य, मिश्र , |
१०६ ६ आ.द्वि., तीर्थ, | मनु. आनु.= ६
पीत पद्मावत
मलोधवत ११. भव्यत्व मार्गणा-(गो क./जी. प्र. ३२८/४७४) भव्य
सर्व विकल्प मूलोधवद अभव्य उदययोग्य-सम्य०, मिश्र, आ. द्वि., तीर्थ, इन 4 के बिना सर्व १२२ -३ - ११७
- मूलोघवत्
अन्य गुणस्थान सम्भव नहीं
अयश
०००
२०
२-४
-
-
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