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उदय
३. उदय व्युच्छित्तिकी आदेश प्ररूपणा
१. गतिमार्गणा
मार्गमा गुण
स्थान
प्रथम पृथिवी
a.
२- १ पृथिवी
प्रमाण --
१. नरक गति (गो क / जी प्र २६०-२६३ / ४१५-४१८)
सा
सा
प
• गोक / जो प्र. २४-३०५/४१२-४३४)
व्युच्छिन्न प्रकृतियाँ
तिर्य. योनिमति
१
२
३
४
४
२. यिंग
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१
२
१
२
३
४
५
-
१
२
३
५
१
३
४
५
१
३
४
५
अनन्तानुमन्धो चतुष्क
मिश्र मोहनीय
अथ चतु दुभंग, अनादेय,
1
अयश, नरक त्रिक, बैंक, द्वि मध्या गावानुपूर्वी अनानुबन्ध चतुष्क मिश्र मोह नारकग्नुपूर्वी रहित प्रथम पृथिवीवत्
- १
== ११
१
- ४
· १
- १२
अनन्तामन्धी तु १०४ इन्द्रिय
मिश्र मोह
1
अस्य चतु तिर्यगापूर्वी अनादेय, अयश कीर्ति प्रत्या चतु, तिर्यगाय, तिर्यच
गति, नीच गोत्र, उद्योत
अनतानुबन्ध चतुष्क मिश्र मोह
तिर्यच सामान्यवत्
1
उदय योग्य - स्त्यानगृद्धि, निद्रानिद्रा, प्रचलाप्रचला स्त्री पुरुष वेद इन ५ रहित घातिया की । ४७-५ - ४२ नरकायु, नीच गोत्र सात असाता, नरकापूर्वी कि तेजस, कार्याण, स्थिर अस्थिर, शुभ-अशुभ, अप्रशस्त विहायागति, हुँडक, संस्थान, निर्माण, पचेन्द्रिय, नरकगति, दुर्भग दु स्वर, अनादेय, अयश, अगुरुलघु, उपघात, परघात, उच्छवास, बस, बादर, पर्याप्त, प्रत्येक, वर्णादि चसु. ३४ । ४२+३४७६
=
मिथ्यात्व
(गोजी २१४-२६०/४९८-४१३) उदय योग्य-देव त्रिक, नारक त्रिक, मनु मिथ्या आप सूक्ष्म, अपर्या
=४
मिथ्यात्व
अनन्तानुमन्त्री चतुष्क
मिश्र. मोह
तिर्यञ्च सामान्यवत्
साधारण ५
२ मिश्र, सभ्य, २
स्थावर ह
R
अनुद
मिश्र, सभ्य २
| नारकानुपुर्वी १
५. कर्म प्रकृतियोंकी उदय व उदयस्थान रूप पाएँ
मिश्र मोह-१
यम्य. मोह नारकानुपूर्वी = २
= १ तिर्यचानुपूर्वी = १ मिश्र मोह - १ ग तिर्यगानुपूर्वी सम्य. मोह- २
द
=१
अनन्त नवन्धी चतुष्क तिर्यगानुपूर्वी = ५ (सम्यग्दृष्टि मरकर तियंचनी में न उपजे) मिश्र होम सबिना तिर्यञ्च सा तिर्यच सामान्यवत्
१
७
==L
-४
-१ तिर्यगानुपूर्वी- १ मिश्र, मोह- १ तिर्य.
= १ मिश्र सम्य
४
= १ |तिर्यगानुपूर्वी =
१
उदय योग्य
७३
मिश्र मोह = १ तिर्य. आनु..
सम्य. २
६८
६८
७२
६८
-८
८४
उदय योग्य - स्त्री वेद व अपर्याप्त इन दो के बिना पंचेन्द्रिय सामान्यवत् ६६-२६७
मिश्र मोह = १ =१
सम्य.
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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१००
११
६०
उदय योग्य-स्थावर, सूक्ष्म, साधारण, आतप १-४ इन्द्रिय इन ८ के बिना तिर्यञ्च सामान्यकी सर्व मिथ्यात्व, अपर्याप्तत्व, =२ मिश्र, सम्य - २)
६६
२
६५
६१
आनु. ६० सम्य
२
८४
मिश्र मोह = १
सभ्य मोह- १
६८
१ । ६६
त्रिक, वैक्रि द्विक, आहा द्विक, उच्च गोत्र, तीर्थङ्कर- इन १५ के बिना = १०७ मिश्र, सम्य
१०७
१०५
५
२
६७
६४
६०
ह
अनुदय
I w or
८८
२
१
V
२
२
१
न उदय
१
८३
८
उदय योग्य - अपर्याप्त, पुरुष वेद, नपु सक वेद इन तीनोके बिना पंचेन्द्रिय सामान्यवत् १६-३-६६ मिथ्यात्व
मिश्र सम्य =
२
१
१
१
१
२
१
२
२
कुल
व्यु
उदय च्छित्ति
१
1 ७४
७२
६६
७०
७४
७२
६६
१००
६१
६२
८४
१०७८६६ १७
६५
६१
२
१५
६४
१६०
६१
८३
८६
१
४
१
१२
* *
८६
८३
or 30
२
११
६
५
८
20 U
४
६४
१
१३ 女
१
१
४
१
५
१
191
८
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