Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 1
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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इतिहास
३३१
८. आचार्य समयानुक्रमणिका
नाम
३००
20६
(३१३
२६७
१०
समय
गुरु या प्रधान कृति समय ई. सन नाम
गुरु या
प्रधान कृति विशेषता
विशेषता २५७११८ क्षेमकीर्ति १ यश कीति
देव चन्द्र १ वासवचन्द्र पासणाह चरिउ २५८ १६८ जयसेन ४ भावसन
ब्रह्मदेव
द्रव्यसग्रह टीक २५६ १८-१०२३ बालनन्दि वीरनन्दि
३०७
नरेन्द्रसेन १ । गुणसेन सिद्धांतसारसग्रह २६० ६६-१०२३ | श्रीनन्दि सकलचन्द्र
३०८ १०६३-११२३ शुभचन्द्र २ | दिवाकरनन्दि २६१ अन्तिमपाद ढड्ढा श्रीपाल के पुत्र चसंग्रहअनुवाद ३०६/ १०६३-११२५ चिराज
शुभचन्द्र २६२ १००० क्षेमन्धर
बृ. कथामञ्जरी ३१०/११०० नागचन्द्र (पम्प) कन्नड़ कवि मल्लिनाथ पुराण २६३ ई.श १०-११ । इन्द्रनन्दि २
छेद पिण्ड
सुभद्राचार्य अपभ्रंश कवि वैराग्गसार १२ ईसवी शताब्दी ११ -
जयसेन ५ सोमसेन
कुन्दकुन्दत्रयी
टीका २६४ १००३-१०२८ माणिक्यनन्दि रामनन्दि परीक्षामुख
जिनचन्द्र ३
सिद्धान्तसार २६५ १००३.१०६८ | शुभचन्द्र १
ज्ञानार्णव ३१४ , वसुनन्दि ३ नेमिचन्द्र श्रावकाचार पूर्वाधविजयनन्दि
बालनन्दि १०१०-१०६५ / वादिराज २
मति सागर एकीभाव स्तोत्र १३. ईसवी शताब्दी १२.२६८१०१५-१०४५ सिद्धान्तिक देव शुभचन्द्र २
३१५ पूर्व पाद । बालचन्द्र २ । नयकीर्ति २६६ १०१६ वीर कवि जंबूसामि चरिउ
टोका २७० १०२०-१११० । मेषचन्द्र विद्या सकलचन्द्र
वक्रग्रीवाचार्य द्रविड सघी २७१ १०२३
ब्रह्मसेन जयसेन
विमलकीति । रामकीति सोखबड बिहाण २७२ १०२३-१०६६ | उदयसेन गुणसेन
चन्द्रप्रभ ११०२
प्रमेय रत्नकोश कुन्न भूषण २७३/ १०२३-१०७८ पद्मनन्दि आबिद्ध
वादीभ सिह । वादिराज द्विस्थाद्वा सिद्धि
३१६ ११०३ २७४१०२६ पद्मसिंह
ज्ञानसार २७५ १०३०-१०८० श्रुतकीति
११०८-११३६ माघनं दि(कोल्हा) कुल चन्द्र पद्मनन्दि आविद्ध यश कीति
३२१ २७६ मध्य पाद
हरिभद्र सूरि जिनदेव उपा।
१११५ अपभ्रश कवि । चदप्पह चरिउ ३२२ २७७ १०३१-१०७८
मस्तव वृत्ति अभयदेव श्वे)
१११५-१२३१/ गोविन्दाचार्य नवाग वृत्ति
प्रभाचन्द्र ६ मेघचन्द्र विद्या २७८१०३२ दुर्गदेव सयमदेवरिट समुच्चय
१११६ ३२४
शुभचन्द्र ३ चन्द्रकीति २७६/ १०४३-१०७३
११२०-११४७ मल्लधारीदेव
११२०
राजादित्य नयनन्दि २८० १०४३ नेमिचन्द्रके गुरु
| कन्नड गणितज्ञ व्यवहार गणित कीर्ति वर्मा
११२३
जयसेन ६ २८१ १०४६
नरेन्द्रसेन आयुवद विद्वान जाततिलक महेन्द्र देव
गुण मेन २
११२३ नागसेनके गुरु
नरेन्द्रसेन
नयसेन २८३/ १०४७
मल्लिषेण जिनसेन ११२५
धर्मामृत महापापा
योगचन्द्र नागमेन
मध्य पाद महेन्द्रदेव
दोहासार बीरसेन ३
अनन्तवीर्य लघु २८५१०४८ ब्रह्मसेन
प्रमेयरत्नमाला
वीरनन्दि४ रामसेन
आचारसार नागसेन धवलाचार्य
श्रीधर ४
पासगाह चरिउ २८७
हरिवश
पद्यप्रभ २८८
वीर नान्द तथा नियमसार टीका मलयगिरि(श्वे.) श्वे टीकाकार। . पद्मनन्दि५ वीरनन्दि
मल्लधारी देव श्रीधर १ पंचविशतिका ३३४ सोमदेव २ २६०, १०६२-१०८१
भ अमृतचन्द्र । कथा सरित सागर ३३५
प्रद्य म्नचरित श्रीचन्दबीरचन्द
मल्लिषेण
सज्जनचित्त नेमिचन्द ३
पुराणसार संग्रह नयनन्दि
(मल्लधारीदेव)
वल्लभ द्रव्यसग्रह सैद्धान्तिक देव
गुणधरकीर्ति कुवलयचन्द्र
अध्यात्म त. २६३, १०६८-१०६८ दिवाकरनन्दि चन्द्रकीर्ति
टोका वसुनन्दि तृ.
३३७
देवचन्द्र प्रतिष्ठापाठ ११३३-११६३
माधन दि(कोल्हा) नेमिचन्द(श्वे) २६५ १०७२-१०६३ आम्रदेव
कनक नन्दि प्रवचनसारोद्धार ३३० गुणसेन १ २६६ १०७४
गण्ड विमुक्त देव वीरसेन ३ जिनवल्लभ गणी, जिनेश्वर सरि षडशीति । २४०
देवकीर्ति ३ । २४७/ १०७५-१११० २६८१०७५-११२५ वाग्भट्ट १
नेमिनिर्वाणकाव्य ३४१
माघन दि त्रैविद्यः २६४ १०७५-११३५
देवसेन ३ विमलसेन गणधर सुलोयणा चरिउ ३४२ पद्यकीति (भ) जिनसेन पासणाह चरिउ ३४३
कर्ण पार्य ३०० १०७७
कन्नड कवि नेमिनाथ पुराण ३०१ १०८-११७३ हेमचन्द्र (श्वे.)
शब्दानुशासन ३४४ ३०२ १०८६ भूतकीति अग्गल के गुरु | पचवस्तु(टीका २०११
अपभ्रंश कवि भविसयत्त चरिउ ११४३
| श्रीधर (विबुध) अग्गल कवि ।
श्रुतकीति ३०३ १०८६
चन्द्रप्रभ चरित ३४६
नागवर्म२ कन्नड़ कवि काव्यालोचन ३०४ अन्तिम पाद | वृत्ति विलास | कन्नड कवि धर्मपरीक्षा ३४७
उदयादित्य |
'उदयदित्यालंकार
३२
२८२ १०४७
२८४ १०४७
२८६ उत्तरार्ध
२८
"
सिह
११२८
२६१/१०६६ २६२, १०६८
२६४, १०६८-१११८
| श्रुतकीर्ति ११४० ११४२-११७३ परमानन्द सरि
११५०
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