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पहले
| १२६६
१२७१
१२६६
इतिहास
३२३
७. पट्टावलिये तथा गुर्वावलिये २. नन्दि संघ बलात्कारगण
के आधारपर डा नेमिचन्दने इसकी अन्य गद्दियोसे सम्बन्धित प्रमाण-दृष्टि १-बि.रा स.-शक सवत, दृष्टि नं २=वि.रा स..
भी पट्टावलिये ती.४/४४१ पर भदी है-- थी नि ४८८। विधि मन भद्रबाहुके काल में १ वर्षकी वृद्धि करके उसके स० व नाम । वि० । वर्ष) स० व नाम ।वि० । वर्ष आगे अगले-अगले का पट्टकाल जोडते जाना तथा साथ-साथ उस पट्टकालमें यथोक्त वृद्धि भी करते जाना-(विशेष दे शीर्षक ५/२)
| २ उज्जयनी गद्दी- | ७ ग्वालियर गही प्र. दृष्टि
द्वि दृष्टि | २७ महाकीर्ति ६८६/१८६५ हेमकीर्ति
१२०६७ नाम
२८ विष्णुनन्दि ७०४ | २२६६ चारु कोति विरास | वी.नि
१२१६ | बी नि | विशेषता | (विश्वनन्दि)
६७ नेमिनन्दि १ भद्रबाहु २ ४-२६ ६०६-६३१ २२ ४६२-५१४ |
| २६ श्री भूषण
६८ नगभिकीर्ति
१२३० ५१४-५१५ /मूलसंघक। ३० शीनचन्द
१४६६१ नरेन्द्रकीति लोहाचार्य २
३१ श्रीनन्दि
७० श्रीचन्द्र
१२४१ २ गुप्तिगुप्त २६-३६ ६३१-६४।१०६५-७५ नन्दिसघो-] ३२ देशभूषण
१० ७१ पद्मकीर्ति
१२४८ ३ माघनन्दि
त्पत्ति तक | ३३ अनन्तकीर्ति
| ७२ वर्द्ध मानकीति प्र आचार्यत्व | ३६-४०६४१-६४५ ४ ५७५-५७६ भ्रष्ट होनेसे |
| ३४ धर्मनन्दि
२३७३ अकलंकचन्द्र
१२५६ ३५ विद्यानन्दि
३२/ ७४ ललितकीर्ति १२५७ द्वि. आचार्यत्व ३५/५७१-६१४ पुन दोक्षाके ३६ रामचन्द्र
७५ केशवचन्द्र
१२६१ बाद ३७ रामकोति
७६ चारुकीर्ति
१२६२ ४ जिनचन्द्र ४०-४४६४५-६५४६६१४-६२३
३८ अभय या
७७ अभयकीर्ति
१२६४ ३१ ६२३-६५४ काल वृद्धि निर्भयचन्द्र
१६/७८ वसन्तकीर्ति १२६४ ५ पद्यनन्दि ४९-१०१६५४-७०६२/६५४-७०६ अपर नाम ३६ नर चन्द्र
१६ ८ अजमेर गही कुन्दकुन्द ४० नागचन्द्र
७६ प्रख्यातकीति ६ गृदपिच्छ १०१-१४२/७०६-७४७ ४१७०६-७४७ उमास्वामी
८० शुभकीर्ति २३/७४७-७७० 'का नाम
१२६८ ४२ हरिनन्दि
८१ धर्मचन्द्र नोट- इसमे आगे शक संवत घटित हो जानेमे द्वि दृष्टिका प्रयोजन समाप्त |४३ महीचन्द्र
८२ रत्नकीर्ति हो जाता है
४४ माघचन्द्र
८३ प्रभाचन्द्र ७ लोहाचार्य ३ / ९४२-१५३ / ७४७-७५८) । ।
१३१० (माधवचन्द्र)
२२१ ९. दिल्ली गद्दी ३ चन्देरी गद्दी
८४ पद्मनन्दि
। १३८५/६५ क्रम नाम
। १०२३ | १४८५ शुभचन्द्र शक स ई. सं. वर्ष विशेष ४५ लक्ष्मीचन्द
१४५०५७ ४६ गुणनन्दि
८६ जिनचन्द्र (१५०७ : ७० लोहाचार्य ३ १४२-१५३ , २२०-२६१ /
(गुणकीति)
१०. चित्तौड़ गद्दी
१०४८१८ | यशकीति१
४७ गुण चन्द्र | १५३-२११ २३१-२८४
१३.८७ प्रभाचन्द्र यशोनन्दि १
४८ लोकचन्द्र २११-२५८ | २८६-३३६
१५७१ १० देवनन्दि
८८ धर्मचन्द्र
| ४ भेलसा (भोपाल) गद्दी २५८-३०८३३६-३८६ | ५० जिनेन्द्रबुद्धि पूज्य--
१५८१ जयनन्दि
[११८ ललितकीर्ति
४६ श्रुतकीर्ति २०८-३५८/ ३८६-४२६/५० पाद १२ गुगनन्दि
|६० चन्द्रकीर्ति
५० भावचन्द्र 1३५८-३६४-४३६-४४२
१६२२ | बज्रनन्दिन १ ३६४-३८६ | ४४२-४६४ | २२ 'द्रविड संघके प्रवर्तक (भानुचन्द्र) १०६४/२१६१ देवेन्द्रकीर्ति १४ | कुमारनन्दि | ३८६-४२७ ४६४-५०५, ४१
५१ महीचद्र १९१५ | २४/६२ नरेन्द्रकीर्ति १५ / लोकचन्द्र ४२७-४५३ | ५०५-५३१ / २६
५ कुण्डलपुर (दमोह) गद्दी १३ सुरे द्रकीर्ति
१४ जगत्कीति | प्रभाचन्द्र न.१ | ४५३-४७८५३१-५५६ / २५
१२ मोषचन्द्र
१७३३ नेमीचन्द्र नं १ ४७८-४८७५५६-५६५६
(मेषचन्द्र)
१७७०
१६ महेन्द्रकीर्ति १८ | भानुनन्दि ४८७-५०८५६५-५८६
६. वारा की गद्दी
१७६२
६७ क्षेमेन्द्रकीर्ति | सिंहनन्दि २ 1५०८-५२६८६-०३
१९१६ ५३ ब्रह्मनन्दि
११४४ |
१८ सुरेन्द्रकीर्ति | वसुनन्दि १ १२५-५३१६०३-६०४
१८२२
५४ शिवनन्दि २१ वीरनन्दि
६ सुखेन्द्रकीर्ति १ ५३१-५६१ [ ६०६-६३६
५५ विश्वचन्द्र २२ | रत्ननन्दि
११०० नयनकीति ५६१-५८५६३६-६६३
१८७६ ५६ हृदिनन्दि १९५६
१०१ देवेन्द्र कीति २३ माणिक्यनन्दि १५८५-६०१ / ६६३-६७६ १६
१८८३४ ५७ भावनन्दि
११६० २४ मेषचन्द्र न १६०१-६२७/६७४-७०५ | २६
१०२ महेन्द्र कीति ११३८ ।
१८ सूर (स्वर) काति | १९६७ २५ शान्तिकीर्ति ६२७-६४२ / ७०५-७२० / १५ ।
११. नागौर गही
५६ विद्याचन्द्र ११७० २६ मेरुकीति ६४२-६८० / ७२६-७५८, ३८. ६० सूर (राम) चन्द्र ११७६
५ ६१ माघनन्दि
२ भुवनकोति
१५८६ ३ नन्दिसंघ बलात्कारगण को भट्टारक आ नाय । ६२ ज्ञाननन्दि
१९८८ ११ ३ धर्मकीर्ति नोट ---इन्द्र नन्दिकृन श्रुतावतारको उपयुक्त पट्टावली इस संघकी भर ६३ गंगकीर्ति ११६६ ७ ४ विशालकीर्ति
पुर या भहिलपुर गद्दीसे सम्बन्ध रखती है। इण्डियन एण्टीक्वेरी- | ६४ सिहकीर्ति | १२०६ । ३। ५ लक्ष्मीचन्द्र
। ११४०/ ४६५ देवेन्द्रकीर्ति
११४८
११५५
१ रत्नकीर्ति
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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