________________
इतिहास
५ क्रमशः नन्दीसंख देशीयगण गोलाचार्य शाखा
प्रमाण - १. ती /४/३७३ पर उद्धृत मेघचन्द्रकी प्रशस्ति विषयक शिलालेख नं. ४७/ती, ४/१८६ पर उद्धृत देवकोर्तिको प्रशस्ति विषयक शिलालेख नं ४० । २. ती. ३/२२४ पर उद्धृत वसुनन्दि श्रावकाचारको अन्तिम प्रशस्ति । ३ (ध. २/प्र, ४ / H. L, Jain ); (पं.वि. / प्र. २८/ H L Jain )
गोलाचार्य शिष्य
प्रमाण न. १
शिक्षागुरू
कुलभूषण
(ई. १०२३-१०७८) 1
भानुंकीत 1
बप्पनन्दि
मेवचन्द्र १ (विद्य) विश ११८
आवितरण पद्मनीमाि
प्रभाचागुरु) (ई १३०-१०३०)
कुलचन्द्र
( ई १०७८ - १९०८)
।
मानन्द (कोल्हापुरी)२
(ई. १९०८-११३६)
इन्द्रनन्दि (ई. १३६ में ज्वालामालिनी कल्प पूरा किया ।)
(ई श. १० का मध्य )
Jain Education International
"त्रैकाव्य योगी" (ई (२०-१३०) (दे. इसमे पूर्ववर्ती पृष्ठ)
1
प्रमाण नं. १, ३ J अभयनन्दि
(वि. श ११ का प्रथम चरण, ई. १३०-६५० )
माणिक्यनन्दि क
(परीक्षा
(ई. १००३ - १०२८)
माघनन्दि ३ प्रेविद्य
शिक्षागुरू
देवकीर्ति
(शक १०० में समाधि) १९२४ - ११६३ ।
ज्येष्ठ गुरुभ्राता होनेके कारण इन्द्रनन्दि तथा वीरनन्दिको नेमिचन्द्र
सिद्धान्त चक्रवर्ती अपना गुरु मानते हैं।
1
बालनन्दि (रामनन्दि (हह-१०२३)
इसकीर्ति
( ई १०३० - १००)
वीरनन्दि
(ई. १५० - ६६६)
३२५
विजयनन्द (ई.बा. ९१ पूर्व) शिक्षागुरु)
→
गण्डनं २ (मादिर्मुख)
1 नेमिचन्द्र (सिद्धान्त घर्ती (ई. १८१ के आसपास (१०-११)
1
वीरनन्दि ई. श. १२
मध्य
1
दण्डनायक आदि अनेक श्रावक
प्रभाचन्द्र
(प्रमेयक मलमार्त्तण्ड के कर्ता) (ई. १५०-१०६५)
I
मेघचन्द्र त्रैविद्य २
( शक १०३७ में समाधि)
गण्डवि
देवकीर्ति पण्डित
देव नं. १. वि. १९६० - १२२० ई. १९३३ - ११६३: शक १०५५- १०८८
मानन्द कोल्हापुरी १ (शक १०३०-१०५८. ई. १९०८-१९३६) ( प्रमाण नं. १ तथा ३)
1
कनकनन्दि देवी
७. पट्टाबलियें तथा गुर्दावलियें
(ई. १०२०-१११२)
J
नन्दि (सैद्धान्तिक ) (ई. १२-१०४३) (ई.श. (कर्ता)
माणिक इन तीनोंके शिक्षागुरु रहे
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
For Private & Personal Use Only
। ती. ३/२७१
1
शुभचन्द्र
शक १०६६ में समाधि
ई. १९४७
शुभचन्द्र नं. २ (शक ११० में समाधि) वि. १९९४-१९३६. १९४११०२
इन्द्रनन्दि पहले मैच
पीछे विशेष अध्ययन के लिये अभयनन्दिकी शरण में आ गये थे ।
1
सकलचन्द्र (ई. १५०-१०२०)
नं. २
त्रै विद्य
प्रमाण नं २
1
श्रीनन्द (१११--१०२३)
प्रभाचन्द्र
शक १०४१ में पूर्ति विठा ई. १२ पूर्व
नयनन्दि सुदसणचरिउको रचना वि. ११००
(ई. ११३-१०३०)
देवचन्द्र प्रसारितमें इन तीनोंकी प्रशंसा
श्रुतकीर्ति
+
सैद्धान्तिक द्रव्यसंग्रहकर्ता (वि. ११२५, ई. १०५०-६८)
सुनन्दि (जयसेन ) (भावकाचार के कर्ता) (वि.स. १२ का उत्तरार्ध) (ई. १०६८-१९१०)
रामचन्द्र विद्यादेव
1
अनेक श्रावक लक्खनन्दि
१.
२. माधवचन्द्र ३. हुल्लराज आदि
www.jainelibrary.org