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आयु
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विषय-सूची
३ आयु कर्मक बन्धयोग्य परिणाम १ मध्यम परिणामोमे ही आयु बँधती है २ अल्पायु बन्ध योग्य परिणाम ३ नरकायु सामान्यके बन्ध योग्य परिणाम ४ नरकायु विशेषके बन्ध योग्य परिणाम ५ कर्म भूमिज तिर्यश्च आयुके बन्ध योग्य परिणाम ६ भोग , , , , " ७ कर्म भूमिज मनुष्योंके बन्ध योग्य परिणाम ८ शलाका पुरुषोंकी आयुके बन्ध योग्य परिणाम ९ सुभोग भूमिजोंकी आयुके बन्ध योग्य परिणाम १० कुभोग भूमिज मनुष्यायुके बन्ध योग्य परिणाम ११ देवायु सामान्यके बन्ध योग्य परिणाम १२ भवनत्रिक आयु सामान्यके बन्ध योग्य परिणाम १३ भवनवासी देवायुके बन्ध योग्य परिणाम १४ व्यन्तर तथा नीच देवोकी आयुके बन्ध योग्य परिणाम १५ ज्योतिष देवायुके बन्ध योग्य परिणाम १६ कल्पवासी देवायु सामान्यके बन्ध योग्य परिणाम १७ कल्पवासी देवायु विशेषके बन्ध योग्य परिणाम १८ लौकान्तिक देवायुके बन्ध योग्यपरिणाम १९ कषाय व लेश्याकी अपेक्षा आय बन्धके २० स्थान * आयुके बन्धमे संक्लेश व विशुद्ध परिणामोंका स्थान
-दे, स्थिति ४ ४ आठ अपकर्ष काल निर्देश १ कर्म भूमिजोंकी अपेक्षा आठ अपकर्ष २ भोग भमिजों तथा देव नारकियोंकी अपेक्षा ८ अपकर्ष ३ आठ अपकर्ष कालोंमे न बँधे तो अन्त समयमें बंधती है ४ आयुके त्रिभाग शेष रहनेपर ही अपकर्ष काल आने
सम्बन्धी दृष्टि भेद ५ अन्तिम समयमे केवल अन्तर्मुहूर्त प्रमाण ही आयु
बंधती है ६ आठ अपकर्ष कालोंमे बंधी आयुका समीकरण ७ अन्य अपकर्षमें आयु बन्धके प्रमाणमें चार वृद्धि व
हानि सम्भव है ८ उसी अपकर्ष कालके सर्व समयोंमें उत्तरोत्तर हीन
बन्ध होता है * आठ सात आदि अपकर्षों में आय बांधने वालों का
अल्पबहुत्व -दे. अल्पमत्व ३/६/१५ ५ मायके उत्कर्षण व अपवर्तन सम्बन्धी नियम १ बद्धधमान व भुज्यमान दोनों आयुओंका अपवर्तन
सम्भव है
* भुज्यमान आयुके अपवर्तन सम्बन्धी नियम-दे.मरण ४ २ परन्तु वद्धयमान आयुकी उदीरणा नही होती ३ उत्कृष्ट आयुके अनुभागका अपवर्तन सम्भव है ४ असंख्यात वर्षायष्को तथा चरम शरीरियोंकी आयका
अपवर्तन नही होता * आयुका स्थिति काण्डक घात नही होता-दे. अपकर्षण ४ ५ भुज्यमान आयुपर्यन्त बद्धयमान आयुमे बाधा सम्भव है ६ चारों आयुओंका परम्परमे संक्रमण नही होता ७ सयमकी विराधनासे आयुका अपवर्तन हो जाता है * अकाल मृत्यमे आयुका अपवर्तन -वे. मरण ४
८ आयुका अनुभाग व स्थिति घात साथ-साथ होते हैं ६ आयुबन्ध सम्बन्धी नियम १ तिर्यंचोंको उत्कृष्ट आयु भोगभूमि, स्वयम्भूरमण द्वीप
व कर्मभूमिके चार कालोमे ही सम्भव है २ भोगभूमिजोंमे भी आयु हीनाधिक हो सकती है ३ बद्धायुष्क व घातायुष्क देवोकी आयु सम्बन्धी स्पष्टी
करण ४ चारों गतियोमे परस्पर आयुबन्ध सम्बन्धी ५ आयुके साथ वही गति प्रकृति बँधती है ६ एक भवमे एक ही आयुका बन्ध सम्भव है ७ बतायष्कोंमे सम्यक्त्व व गणस्थान प्राप्ति सम्बन्धी ८ बद्धयमान देवायुष्कका सम्यक्त्व विराधित नही होता ९बन्ध उदय सत्त्व सम्बन्धी सयोगी भंग १० मिश्रयोगोंमे आयुका बन्ध सम्भव नही * आयुकी आबाधा सम्बन्धी –दे आबाधा आयुविषयक प्ररूपणाएँ १ नरक गति सम्बन्धी २ तिथंच गति सम्बन्धी ३ एक अन्तर्मुहूर्तमे ल. अप. के सम्भव निरन्तर क्षुद्रभव ४ मनुष्य गति सम्बन्धी ५ भोग भूमिजों व कर्म भूमिजों सम्बन्धी * तीथंकरों व शलाका पुरुषोकी आयु -दे, वह यह माम ६ देवगतिमें व्यन्तर देवो सम्बन्धी ७ देवगतिमें भवनवासियो सम्बन्धी ८ देवगतिमें ज्योतिष देवो सम्बन्धी ९ देवगतिमे वैमानिक देव सामान्य सम्बन्धी १० वैमानिक देवोमें इन्द्रों व उनके परिवार देवों सम्बन्धी ११ वैमानिक इन्द्रों अथवा देवोंकी देवियों सम्बन्धी १२ देवों द्वारा बन्ध योग्य जघन्य आयु
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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