________________
इतिहास
प्रमाण - जैन इतिहास = जैन साहित्य इतिहास पूर्व पीठिका / पृष्ठ संख्या
संकेत –वो नि. = वीर निर्वाण सवत्, ई पू लोक इतिहास वर्तमान इतिहास
नाम
अवन्ती राज्य १. प्रयोश
सामान्य
प्रद्योत
पालक
विशाखयूप आर्य सूर्यक
अजक (उदय)
नन्दिवर्द्धन
मगध राज्य १. शिशुनाग वंश
सामान्य
शिशुनाग arraf
क्षेत्रधर्मा
क्षतीजा
नाम
२. श्रेणिक वश
सामान्य
वंशक उद्दमी
अनुरुद्ध मुण्ड नागदास
श्रेणिक
(बिम्बसार)
अजातशत्रु ३१६ (खुशिक)
भूमिमित्र
दर्शक
सुसुनाग (नन्दवर्धन)
कालासोक
जैन शास्त्र ( ति प ४/१५०५ प्रमाण | बी नि.
ई पू
Jain Education International
३२६ १-६० | ५२७-४६७
बौद्ध शास्त्र महावश प्रमाण | बु नि.
ई पू.
३१४ २४-४० ५२० - ५०४
:::
पू. ८- ५५२-५२० स. २४
11
[ मत्स्य पुराण
प्रमाण वर्ष | प्रमाण
| ६०-११८ ४५४-४२६
ईसवी पूर्व, ई. ईसवी, पू - पूर्व, सं. सवतः वर्ष = कुल शासन काल;
22:
३१७ १२५
31
३१८ २१
"
11
१२६
३१८ | ४०
२६
३६.
२४
३२
१६
४०-४४ ५०४ - ५०० ४४-४५००-४६६ ४८-७२ | ४६६-४७२ २४
४
20 20 20
२३ ३२५
५३ |
४
२८
a
मन्स्यपुराण
जैन इतिहास वर्ष | वर्ष प्रमाण | ई पू
२८ ३०८
२७
2
३१५७२-१०४७२-४५४ १८ ४०
१४
२७
K
२४
43
:
३३ ३३३
३१२
जैन इतिहास ई
३३५
11
वर्ष
५६०-५२७ ३३
४६-४६० ३२
४६७४४६ १८
वर्ष
६०४-६५२ ५२
५५२-५२० ३२
200-125 E ४५८-४४६८
31
३१४ ४४६ - ४४६ ०
२२०-४६७५३
४४६ -४०६ ४०
२. ऐतिहासिक राज्यवंश
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
For Private & Personal Use Only
विशेषताए
श्रेणिक तथा अजातशत्रुका समकालीन ॥ ३२२ ॥ श्रेणिकके मन्त्री अभयकुमारने बन्दी बनाकर श्रेणिकके आधोन किया था | ३२०|
इसे गद्दी से उतारकर जनताने मगध नरेश उदयी (अजक) को राजा स्वीकार कर लिया । ३३२ |
मगध शासन के ५३ वर्षों से अन्तिम ३२ वर्ष इसने अवन्ती पर शासन किया |२८| परन्तु दुष्टताके कारण किसी भ्रष्ट राजकुमारके हाथों धोखेसे निसन्तान मारा गया | २३२ |
इसने मगध में मिलाकर इस राज्यका अन्तकर दिया । ३२८|
जायसवालजी के अनुसार श्रेणिक वंशीय दर्शक के अपर नाम है। शिशुनाग तथा काकवण उसके विशेषण है | ३२२ |
विशेषताए
राज्य के लोभसे अपने अपने पिताकी हत्या करनेके कारण यह कुल नामसे प्रसिद्ध है ||१४| बुद्ध तथा महावीरके समकालीन | ३०४ | इसके पुत्र अजातशत्रुका राज्याभिषेक ई. पू. ५५२ में निश्चित है।
मी प्रयोग इसका उल्लेख नहीं है। १२२॥ इसकी बहन पद्मावतीका विवाह उदयीके साथ होना माना गया है । ३२३|
अजातशत्रुका पुत्र । ३१४ | अपरनाम अजक | ३२५१ ई पू. ४२ में पालकको गद्दी से हटाकर जनता ने इसे अवन्तीका शासक बना दिया परन्तु यह उसे अपने देशमें नहीं मिला सका। ३२८|
पितृघाती कुलको समाप्त करनेके लिए जनताने उसके स्थानपर इसके मन्त्रीको राजा बना दिया । ३१४ | नागदासका मन्त्री जिसे जनताने राजा बनाया । ३१४ | अनन्ती राज्यको मिलाकर अपने देशकी वृद्धि करनेके कारण नन्दिवर्द्धन नाम पड़ा | ३३१ |
www.jainelibrary.org