________________
भरपत्रकुल
सूत्र
मार्गणा
३१४ | अक्षपक व अनुपशमक
३१५
३१६
३१७
३१८
३१६
३२०
३२१ | गुणस्थान ४में सम्य.
३२२
३२३
३२४ गुणस्थान में सम्य उपशमको में
३२५
सम्यक्त्व
३२६ चारित्र
३२७/
१८६ | अभव्य
१८७ न भव्य न अभव्य १०] भव्य
३२८ भव्य
३२६ अभव्य
३३१|
३३२ |
गुण स्थान
१०४ सम्यग्मध्या ११० सम्यि १६१ सिद्ध
१६२ मिथ्यादृष्टि
60
५
२
३
१६३॥ सासादन १६४ स्तोक
१
४
उप
१५. भव्य मार्गणा
११४ सम्ममा
१६८
१६७
१६८
१६६ सिद्ध
२०० मिध्यादृष्टि
क्षा.
थे.
१. सामान्य प्ररूपणा
ཝཱ སྠཽ སྠ
३३० सम्यकरव सा.
उप
क्षा
उप.
Jain Education International
क्षा.
(प.व. ७/२.११/ १०६-१००)
२. ओघ व आदेश प्ररूपणा
अल्पबहुत्व
(ष ख ५ / १,८ / सू. ३२८-३२१)
| १२-१४ |
१६. सम्यकत्व मार्गणा
१ सामान्य प्ररूपणा
दुगुने असं गुणे
•
मूलोघवत् स्तोक
उप
क्षा.
वे.
सा.
दुगुने
स्तोक
स गुणे
(०/२१९/१०१-११२)
स गुणे
असं गुणे गुणकार आ./ अस संगुणे
स्तोक
असं गुणे
सं. गुणे
उपशमकों क्षाधिक ८-१०
स्तोक अनन्तगुणे
19
११
१- १४ | मूलोघवत्
नहीं है
सासादन
अन्य प्रकार - ( षख ७/२,११ / सू ११३ - २०० )
स्तोक सं गुणे असं गुणे
13
२. ओघ व आदेश प्ररूपणा
(५/१८/२२०-२५४)
गुणकार
गुणकार - पल्य / अस आ / अस.
४- १२ अवधिज्ञा. वय १३-१४ सुलोषवत् स्तोक
कारण व विशेष
:- सं समय
गुणकार आ./असं. अनुदिशादिवेदक कम होते है
मूलोघवत्
स्तोक
असं गुणे गुणकार आ. / असं. अनन्तगुणे
91
जघन्य युक्तानन्त मात्र
R
"
सम्यग्दरि अन्तर्भाव
11
33
गुणकारसं, समय - जा/बर्स,
17
विशेषाधिक सबका योग अनन्तगुणे
-
५
परस्पर तुल्य / प्रवेश व संचय दोनों ऊपर तुल्य प्रवेश व संचय दोनों
सूत्र
मार्गणा
२२२ क्षपको क्षायिक ३३४
| ३३५
३३६
३३७ अक्षपक व अनुप
३३८ शमको में क्षायिक
३३६|
३४०
३४२ वेदक सम्यक्त्व
३४३
३४४
३४७ उपशम सम्यक्त्व
३४८
३४६
३५० |
३५१|
२५१/
३५४ सासादन
99
सी
२५ lakt
39
२२७ असंज्ञी
२६२
३६३
गुण स्थान
२०३ अनाहारक अबन्धक
८-१०
१२
१४
१३
२०४ अनाहारक बन्धक २०५। आहारक
७
५
मिथ्यादर्शन
१७. संत्री मागंणा
३५८ उपशमक
३५६
३६० क्षपक -३६१
४
७
१. सामान्य प्ररूपणा
५
४
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
For Private & Personal Use Only
८-१०
११
७
看
२
१७/२,११.२०१ - २०३ )
२०१ संज्ञो स्तोक २०२ न संज्ञी न असंज्ञी सिद्ध अनन्तगुणे २०३ | असज्ञी
२. ओ व आदेश प्ररूपणाएं
२. ओघ व आदेश प्ररूपणा(4/1/2-14)
अयमहुल
१४
स. गुणे
ऊपर तुष्य
सं. गुणे
असं गुणे
दु
सं. गुणे
ចំដែនដ
असं पुणे
.
स्तोक
गुणे
असं गुणे
१८. आहारक मार्गणा
१. सामान्य प्ररूपणा(प. . ०२.११.२०३-२०५)
१२
१३
39
स्तोक
ऊपर तुग्य
सं गुणा
दुगुने
अस.
नहीं है
२- १४ | मूलोघवत्
१
१
गुणे
२. ओम व आदेश प्ररूपणा
(ष ख. ५ / १,८ / सू ३५८-३७४)
स्तोक अनन्तगुणे
असं गुणे
.
८-१० स्तोक ११
८-१० दुगुने
ऊपर तुग्य
ऊपर तुल्य
कारण व विशेष
"
सं. गुमे
प्रवेशापेक्षया
संचयापेक्षा
मनुष्य के अतिरिक्त अन्य जातियो में अभाव गुणकार पय/ असं
-
असंयत् से ज. प्र. / असं गुणे
नहीं है
गुणकार पश्य / असं - - आ. असं,
19
परस्पर तुल्य / प्रवेश व संचय दोनों अपेक्षा
गुणकार = परय / असं
११
=
प/असं मात्र
विग्रह गतिमें | गुणकार - अन्तर्मुहूर्त
परस्पर तुल्य । प्रवेश व समय दोनो (मीन) प्रवेश व संचय १०८जीव
प्रवेशापेक्षा संचयापेक्ष्या
www.jainelibrary.org