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अल्पबहुत्व
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३. प्रकीर्णक प्ररूपणाएं
कौन कर्मका अनुभाग
अल्पबहुत्व
कौन कर्मका अनुभाग
अल्पबहुत्व
७. शान मार्गणा :मति श्रुत अवधि व मन पर्ययमें केवलज्ञान में मति श्रुत अज्ञान व विभंग में
ओघवत
(८) अष्ट कर्म प्रकृतियोके जघन्य अनुभाग की ६४
स्थानीय स्वस्थान ओघ व आदेश प्ररूपणा
(म.ब ५/६४२६-४३२/२२४-२२६) १.शानावरणमनापर्यय ज्ञानावरणका अनुभाग
सवत स्लोक अवधि
अनन्तगुणा
तिर्यच वत
श्रुत
८. संयम मार्गणा :संयम सा. सामायिक व छेदा, में परिहार विशुद्धि में सूक्ष्म साम्पराय में यथारख्यात में संयतासंयत में असंयत में
ओघवत सर्वार्थ सिद्धि व ओघवत
सर्वार्थसिद्धिव
ओघवत्
स्तोक अनन्तगुणा
९. दर्शन मार्गणा :चक्षु अचच दर्शनों में अवधि दर्शनों में
ओघवत्
तियंचोंब
१०. लेश्या मार्गणा :कृष्ण में
नील कापोत में :देवगतिका अनुभाग मनुष्य , , तिर्यच . . नरक , चारों आनुपूर्वीका शेष प्रकृतियो का पीत लेश्या व पद्म लेश्या में शुक्ल लेश्यामें
तीव अनन्तगुणा हीन
आभिनिबोधिक ज्ञानावरणका अनुभाग केवल ज्ञानावरणका
२. दर्शनावरणअवधि दर्शनावरणका अनुभाग अचक्षु चक्षु
" केवल प्रचला
. निद्रा
" प्रचला प्रचला, निद्रा निद्रा , स्त्यानगृद्धि,
३. वेदनीयअसाता का साता
४. मोहनीयसंज्वलन लोभ का
" माया , " मान ,
. क्रोध पुरुष वेद हास्य रति जुगुप्सा भय शोक
स्तोक अनन्तगुणा
उपरोक्तवत् कृष्ण लेश्यावद देवगति व ओघवत्
स्तोक अनन्तगुणा
ओघवत्
११. सम्यक्त्व मार्गणा :सम्यग्दर्शन सा, में उपशम व क्षायिक सम्य में वेदक सम्यग्दृष्टि में मिध्यादृष्टि में सासादन में सम्यग्मिथ्यादृष्टि में
सर्वार्थसिद्धिवद तिथंच वत् नरकवत वेदक सम्य वत
अरति
१२. भव्यत्व मार्गणा :भव्य में अभव्य में
बोधवत
विशेषाधिक
१३. सशित्व मार्गणा - संज्ञि में असंज्ञि में
स्वी वेद नएसक वेद प्रत्याख्यान मान ,
, क्रोध , , माया, , लोभ, अप्रत्याख्यान मान,
क्रोध
माया, __ लोभ , अनन्तानुबन्धी मान,
क्रोध माया ,
ओघवत तिर्यच वत
अनन्तगुणा विशेषाधिक
१४. आहारक मार्गणाआहारक में अनाहारक में
अनन्तगुणा विशेषाधिक
ओघवत
x
लोभ,
जैनेन्द सिद्धान्त कोश
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