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सूत्र
७८
अल्पबहुत्व
८२
८३
८४
닷
८६
14
19
"
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६१
२
६४
६५
मार्गमा
उपशमकोमें
सम्यक्त्व
६. देवगति
१. देवगतिकी सामान्य प्ररूपणा(सु.वा. १९९६)
कल्पवासी देवदेवी
भवनवासी"
८७
८८ भवनत्रिक देवदेवी
सौधर्म देवी सा
६६
६७
देव सामान्य
सम्यक्त्व
सौधर्म सहकार ६० आनत से उग्रैवेयक
सामान्य
95
व्यन्तर
ज्योतिषी
२. देवगतिकी ओघ व आदेश प्ररूपणा
उपरोक्त में सम्यक्त्व
६६ १००
१०१ सर्वार्थ सिद्धि में
१०२
37
(ष खं ५ / १,८ / सू८१-१०२ )
२
३
उपगेन में सम्यक्त्व
"
अनुदिशसे अपरा
जिसमें सम्यक्त्व
२६ पंचेद्रिय
१७ चतुरिन्द्रिय
सम्यक्त्व
५. इन्द्रिय मार्गणा
१८ त्रीन्द्रिय
डोडिय
१६
२० अनिन्द्रिय (सिड)
२१ एकेन्द्रिय
१०
गुण स्थान
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क्षा,
उप
१
उप
क्षा
वे
२
उप
to
क्षा
१-४
२
३
१
उप
क्षा
अन्वडूख
स्तोक
स गुणे
वे
उप
क्षा
वे
उप
स्तोक
अस. गुणे
क्षा
"
स्तोक
सं गुणे
अस गुणे
स्तोक अस गुणे
17
स्तोक स गुणे अस गुणे
स्तोक
असं गुणे
स्तोक
संगुणे
१. इन्द्रियोंका अपेक्षा सामान्य प्ररूपणा
(ष. ख ७ / २,११/ सू. १६-२१)
अस गुणे
सं गुणे
स्तोक
अस, गुणे
सगुणे स्तोक
असं गुणे
सगुणे स्तोक
सं गुणे सं गुणे
"
|
अनन्तगुणे
कारण व विशेष
उपरोक्तवत्
अधिक उपक्रमण काल
गुणकार = आ / असं
.. Xआ.- अस / ज प्र
अल्पस चय काल
गुणकार - आ / अस
सप्तम नरकवच
17
•गुणकार आ / अस गुणकार आ - अस / ज प्र
सप्तम पृथिवोवत् गुणकार = आ / अस
अभाव
देव सामान्यवत्
न
गुणकार आ / अस अधिक उपपाद
१४५
स्तोक
विशेषाधिक (पचे + पचे / आ / असं )
X ( ज प्र . / अस) अधिक
उपरोस + बहवा असं
गुणकार = आ / असं संचयकाल = सं. सागर
अन्य गुणस्थानोका अभाव = पल्य / अस गुणकार अधिक उपपाद अल्प संचय काल अधिक संचय काल अधिक उपपाद
मार्गणा सूत्र
२२
२३
२४
२५
y w u
२६
२७
२८
२६
३० ३१
३२
३३
३४
३५
३६
३७
३८
३६
४०
४१
४२
४३ ४४
४५
४६
४७
४८
४६
५०
पचेन्द्रिय प
द्रिय प
अल्पबहुत्व
कारण व विशेष
२. इन्द्रियों पर्यापर्यासकी अपेक्षा सामान्य रूप
(ति १४/३९४) (७/२.११/२२-३०) चतुरिन्द्रियप स्टोक ज. प्र./ प्रतरागुल - असं. विशेषा उपरोक्त + वह / आ. अस
श्रीन्द्रिय प
पचेन्द्रिय अप
चतुरद्रय अन त्रीन्द्रिय अप द्वीन्द्रिय अप
अनिन्द्रिय (सिद्ध)
एकेन्द्रिय बा.प.
अप
सा,
14
35 " प,
सा
सू अप
11 11
एकेन्द्र सा
३ ओघ व आदेश प्ररूपणा
(ष ख ५ / १.८ / सू १०३) एकेन्द्रिय से चतुरिन्द्रिय तक
पचे, सा. पंचे प
पंचे प
".
६. काय मार्गणा
त्रस सा. तेज सा.
त्रस प
पृथिवी सा
व
तेजप
गुण स्थान
वायु अप
अप.
11
तेज अप
पृथिवी अप.
अप् अप
५१
३२ पृथिवोप
५३ | अप्प
२. ओम व आदेश प्ररूपणार्थ
२-१४
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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93
अस गुणे गुणकार आ. / असं विशेषा, उपरोक्त + वह / आ अस
35
१. सस्थावर की अपेक्षा सामान्य प्ररूपणा
अनन्तगुणे
असे मुझे विशेषा अस.
स गुणे
विशेषा
(पख ७/२,११३८४४) (२४/५/४६८-५०४/४६५)
( स.म २६ / ३३१ / ७)
गुणे
उपरोक्त
सामान्य
प्ररूपणावत्
मूलोघवद
१ अस समय से, असं गुणे
अप, सा
वायु सा.
अकाधिक (सिद्ध)
वनस्पति सा
२. पर्याप्तापर्याप्त सामान्यकी अपेक्षा सामान्य प्ररूपणा
०२.१९/४५-५३)
स्तोक असगुणे विशेषा
पर्याप्त + अपर्या
पर्या
पर्या
बा सा + सु सा.
अनन्त गुणे
अनन्तगुणे
एक मिथ्यात्व गुणस्थान
ही सम्भव है ।
स्तोक अस गुणे
विशेषा
13
विशेषाधिक उपरोक्त + वह लोक / अस
ज. प्र. / अस [असो] गुणकार उपरोक्त बहू-लोक/असं
ज. प्र. + प्रतरागुल / असं
उपरो+व+अस लोक
""
म गुणे
विशेषा. उपरोक्त + वह / अस. लोक
"
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