Book Title: Anandrushi Abhinandan Granth
Author(s): Vijaymuni Shastri, Devendramuni
Publisher: Maharashtra Sthanakwasi Jain Sangh Puna
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कोटि-कोटि अभिनन्दन !
-सौभाग्य मुनि “कुमुद"
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[कवि, गीतकार, कुशलप्रवक्ता एवं समाज संघटक श्रमण ]
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जय मधु-सिञ्चित-मानस, जय-जय, मानवता के चिर वरदान । जय प्रशान्त पावन प्रकृतिमय, आत्म तत्त्व के अनुसन्धान ॥ जय निकेत शम-दम-करुणा के, जय शिव मार्ग विलासी । जय संथम के सजग देवता, अनेकान्त विश्वासी ॥ समिति-गुप्ति-धन रत्न महाव्रत के अधिकारी धन्य । जिन-पथ सेवा-धर्म परायण, कौन आप-सा अन्य ! ॥ जय आलोक सुमंडित जीवन, प्रगति-पूर्ण इतिहास । युग-युग के आदर्श सदा जय, अडिग अतुल विश्वास ॥ संघ-ऐक्य के अग्रदूत जय, मूर्तिमन्त रत्नत्रय के आराधक जय, सदा सफल अणगार ॥ जय माधुर्यमूर्ति मनमोहक, चिदानन्द के धाम । जय जागृत-विवेक सर्वदा, जय सेवा निष्काम ॥ युग के अभिनव चरण तुम्हारा, कोटि-कोटि अभिनन्दन । "कुमुद” श्रेय पथ अनुगामी, 'आनन्दकन्द' को वन्दन ! ॥
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आपाप्रवर अभियान श्रीआनन्दमन्थश्राआनन्द अन्य५2
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