Book Title: Anandrushi Abhinandan Granth
Author(s): Vijaymuni Shastri, Devendramuni
Publisher: Maharashtra Sthanakwasi Jain Sangh Puna
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आचार्यप्रवभिआचार्यप्रवर अभि श्रीआनन्द अन्यश्रीआनन्द
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४४०
धर्म और दर्शन
SHREERA
२६ वही, २, २५, ६, ११
५७-५८. वही, अध्याय ७, गाथा ८० १/२ २७. वही, ४,३६
५६. वही, अध्याय ७, गाथा १६ २८. गणितसार संग्रह अध्याय ७, गाथा ४३, ६०. वही, अध्याय ७, गाथा ६० . ४५, ७३३ और ७४१/२
६१. वही, अध्याय ७, गाथा २१ २६. त्रिलोकसार, गाथा १७, १९, २२, और २३ ६२-६३. वही अध्याय ७, गाथा ६३ ३०. वही, गाथा, ३११, १८, ७६०, ७६१, ६४. वही अध्याय ७, गाथा ३० ७६३-७६६
६५. वही अध्याय ७, गाथा २३ ३१. सूर्यप्रज्ञाति सूत्र २०
६६-६७. वही, अध्याय ७, गाथा ६५ १/२ ३२. ज्योतिष करण्डक, गाथा १०५
६८. वही, अध्याय ७, गाथा २५ ३३. भगवती सूत्र-सूत्र ६१
६९-७०. वही, अध्याय ७, गाथा २० ३४. तत्वार्थाधिगम सूत्र ३-११
७१-७२. वही, अध्याय ७ गाथा ६७ १/२ ३५. जम्बूद्वीपप्रज्ञाति, सूत्र १६
७३. वही, अध्याय ७, गाथा ३० ३६. उत्तराध्ययन सूत्र-सूत्र (३५-५६) ७४. वही, अध्याय ७ गाथा ३२ ३७. तिलोयपण्णति ४, ५५-५६
७५-७६. वही, अध्याय ७, गाथा ७६ १/२ ३८. लोक प्रकाश (आई० वी० ७२) ७७. वही, अध्याय ७, गाथा ३६ ३६. गणितसारसंग्रह अध्याय ७ गाथा १६-६० ७८. वही, अध्याय ७ गाथा ८६ १/२ ४०. त्रिलोकसार, गाथा, २११
७६. वही, अध्याय ८, गाथा ३६ ४१. वही, गाथा १८
८०-८१. वही अध्याय ७, गाथा ४२ ४२. तत्वार्थाधिगमसूत्र भाष्य, भाग ३, अध्याय २, ८२. वही, अध्याय ७, गाथा ४३ पृ० २५८
८३-८४. वही, अध्याय ७, गाथा ७० १/२ ४३. तिलोयपण्णत्ति १, १६५
८५. वही, अध्याय ७, गाथा ४७ ४४. वही,४, ६ और ४, २७६१
८६ त्रिलोकसार ११४ ४५. वही, ४, २७६३
८७. वही, गाथा ३११ ४६. वही, ४,२३७४
८८-८६. वही, गाथा ७६२ ४७. वही ५, ३१६-२०
१०. गणितसारसंग्रह, अध्याय ७, गाथा ४६ ४८. जम्बूद्वीवपण्णति ,११ ६१
११. वही, अध्याय ७, गाथा ५४ ४६. गणितसारसंग्रह अध्याय ७ गाथा ५० १२. तिलोयपण्णत्ति, १, १६५ ५०. वही अध्याय ७ गाथा ५०
६३-६४. वही, १, २०३-१४ ५१. वही, अध्याय ७ गाथा ५०
६५. वही, १११६ ५२. वही, अध्याय ७ गाथा ७
६६. वही, १, २६८ ५३. वही, अध्याय ७ गाथा ५०
६७. वही, ५, ३१६-२० ५४. गणितसार संग्रह, अध्याय ७, गाथा ५० ६८. जम्बूद्वीवपण्णात्ति, ११, १०८
परन्तु यह नियम विषभचतुर्भुज के लिये ६६. गणितसारसंग्रह, अध्याय ८ गाथा ४ लागू नहीं है।
१००-१०१. वही, अध्याय ८, गाथा २८ १/२ ५५ ऐसे दो वृत्तों की जिनके केन्द्र एक ही हों, १०२. गोम्मटसार, गाथा १७
परिधियों के बीच का क्षेत्रफल, नेमिक्षेत्र १०३-१०४. वही, गाथा १६
कहलाता है। ५६. गणितसार संग्रह, अध्याय ७ गाथा ७ १०५. वही, गाथा, २२, २३
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