Book Title: Anandrushi Abhinandan Granth
Author(s): Vijaymuni Shastri, Devendramuni
Publisher: Maharashtra Sthanakwasi Jain Sangh Puna
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प्राकृत भाषा और साहित्य
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शेष भाग या ई० पू० तृतीय शताब्दी का प्रथम भाग मानते हैं। अर्धमागधी भाषा का निर्माण वैदिककालीन प्राकृत से हुआ है । अर्धमागधी भाषा के लक्षण
वर्णभेद-(१) दो स्वरों के मध्यवर्ती असंयुक्त 'क' के स्थान में प्राय: सर्वत्र 'ग' और अनेक स्थलों में 'त' और 'य' होता है-जैसे-आकाश-आगास, लोक-लोग, अधिक-अधित, कुणिक-कुणित, कायिक-काइय, लोक-लोय ।
(२) दो स्वरों के बीच का असंयुक्त 'ग'प्रायः कायम रहता है, इसका 'त' और 'य' होता है। जैसे-आगमन-आगमण, अतिग-अतित, सागर-सायर ।
(३) अनाद्य, असंयुक्त क, ग, च, ज, त, द, प, य, व इन व्यंजनों का प्रायः लोप होता है । लुप्त व्यंजनों के दोनों तरफ 'अ' वर्ण होने पर लुप्त व्यंजन के स्थान 'य' होता है । जैसे-लोक:-लोओ, रोचितरोइय, भोजिन्-भोइ, आतुर-आउर, आदेशि-आएसि, कायिक-काइय, आवेश-आएस आदि।
(४) शब्द के आदि, मध्य, संयोग में सर्वत्र 'ण' की तरह 'न' भी होता है। जैसे-नदी-नई, ज्ञातपुत्र-नायपुत्त, अनिल-अणिल ।
(५) यथा, यावत्, शब्द के 'य' का लोप और ज दोनों ही देखे जाते हैं। जैसे-यथाजातअहाजाय, यावज्जीव-जावज्जीव ।
नाम विभक्ति-(१) अकारान्त पुलिंग शब्द के प्रथमा एक वचन में 'ए', 'ओ' प्रत्यय का प्रयोग करते हैं—देवे, देवो।
(२) सप्तमी एकवचन में 'अंसि, प्रत्यय आता है-देवंसि, कम्मसि । (३) चतुर्थी के एकवचन में आए प्रत्यय आता है-सवणाए, कण्हाए।
धातु रूप--(१) भूतकाल के लिए एकवचन में 'इत्था' और बहवचन में 'इंसु' प्रत्यय आते हैंकरित्था, करिसु ।
(२) 'त्वा' प्रत्यय के अनेक रूप दिखाई देते हैं -कटु, चइत्ता, जाणितु, किच्चा, दुरूहिया, लद्ध आदि ।
(३) 'तुम' प्रत्यय के स्थान में 'इत्तए' का प्रयोग करते हैं, जैसे-करित्तए, गच्छित्तए। (४) तद्धित रूप बनाने के लिए 'तर' प्रत्यय का 'तराय' रूप होता है-जैसे अप्पतराए, कंततराए।
अन्य विशेषताएँ-(१) पुनरावृत्ति न हो, इसलिए अंकों का प्रयोग किया जाता है, जैसेअन्न-४, खीरधाई-५।
(२) वैशिष्ट्यपूर्ण वाक्यप्रयोग-कालं मासे कालं किच्चा, जामेव दिसी पाउन्भूया तामेव दिसी पडिगया।
(३) सप्तमी विभक्ति के बदले तृतीया विभक्ति का प्रयोग किया जाता है जैसे--तेण कालेणं तेणं समएणं।
(४) समान वर्णन हो तो कुछ शब्द, वाक्य लिखकर जाव....."ताव, वण्णओ आदि का प्रयोग कर शेष वर्णन करते हैं।
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Karmy
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