Book Title: Anandrushi Abhinandan Granth
Author(s): Vijaymuni Shastri, Devendramuni
Publisher: Maharashtra Sthanakwasi Jain Sangh Puna
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इतिहास और संस्कृति
वेशन आफ नेशनल मॉन्यूमण्टस आफ इण्डिया" नाम की तीन रिपोर्ट प्रकाशित की। इसके पश्चात यह पद कम कर दिया गया।
सन् १८८५ ई० में कनिङ्कम साहब अपने पद से निवृत्त हुए। १८६२ से १८८५ ई. तक उन्होंने २४ रिपोर्ट प्रकाशित की, जिनको देखने से उनके अलौकिक परिश्रम का अनुमान लगाया जा सकता है। इतनी योग्यता के साथ इतने बड़े कार्य को बहुत थोड़े ही मनुष्य कर सकते हैं । कनिङ्घम के बाद डायरेक्टर जनरल के पद पर वर्जेस साहब की नियुक्ति हुई। गवेषणा के अतिरिक्त संरक्षण का कार्य भी उन्हीं के अधिकार में सौंपा गया। सर्वे करने के लिए हिन्दुस्तान को पांच भागों में विभक्त किया गया और प्रत्येक भाग में एक-एक सर्वेअर नियुक्त किया गया। बम्बई, मद्रास, राजपूताना और सिन्ध तथा पंजाब. मध्यप्रदेश और वायव्यप्रान्त मध्यभारत, और आसाम तथा बंगाल, इस प्रकार पाँच भाग नियत किये गये परन्तु सर्वेअरों की नियुक्ति केवल उत्तर भारत के तीन भागों में ही की गई; बम्बई तथा मद्रास प्रान्तों का कार्य डॉ० वर्जेस के ही हाथ में रहा ।।
परन्तु, अब तक भी सरकार की इच्छा इस विभाग को स्थायी बनाने की नहीं हुई थी। वह यह समझे हए थी कि पाँच वर्ष में यह कार्य पूरा हो जावेगा; इसलिए प्राचीन लेखों को पढ़ने के लिए एक यूरोपियन विद्वान की नियुक्ति करने, साथ ही कुछ स्थानीय विद्वानों की सहायता लेने का निश्चय किया।
सन १८८६ ई० में डॉ० वर्जेस भी अपने पद से विलग हुए, इसलिए अब इस विभाग की दशा बिगड़ने लगी । सरकार ने एतद विभागीय हिसाब की जाँच करने के लिए एक कमीशन नियुक्त किया, जिसने अपनी रिपोर्ट में खर्चे की बहुत सी काट-छाँट करने की सिफारिश की। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि ऐसी काट-छाँट और कमी की सिफारिशें सरकार स्वीकार कर ही लेती है। डॉ० वर्जेस के बाद डायरेक्टर जनरल का पद खाली रखा गया और बंगाल व पंजाब के सर्वेअरों को भी छड़ी मिली। यह काट-छाँट करने के उपरान्त सरकार ने इस योजना को केवल पाँच ही वर्ष चालू रखने का मन्तव्य प्रकट किया । परन्तु सरकारी आज्ञा मात्र से एकदम काम कैसे हो सकता है ? १८६० ई० से १८६५ ई० तक के पाँच वर्षों में इस विभाग की दशा बहुत शोचनीय रही और काम पूरा न हो सका । १८६५ ई० से १८९८ ई० तक सरकार यह विचार करती रही कि इस विषय में क्या किया जावे ? फिर, १८९८ ई० में यह विचार हुआ कि अभी इस विभाग से शोध-खोज का काम बन्द करके केवल सरक्षण का ही काम लेना चाहिए।
इस नये विचार के अनुसार निम्नलिखित पाँच क्षेत्र निश्चित किये गये--- (१) मद्रास और कुर्ग । (२) बम्बई, सिन्ध और बरार । (३) संयुक्तप्रान्त और मध्यप्रदेश । (४) पंजाब, ब्रिटिश बल्चिस्तान और अजमेर । (५) बंगाल और आसाम । सन १८६६ ई. के फरवरी मास की पहली तारीख को लॉर्ड कर्जन ने एशिआटिक सोसाइटी के
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