Book Title: Anandrushi Abhinandan Granth
Author(s): Vijaymuni Shastri, Devendramuni
Publisher: Maharashtra Sthanakwasi Jain Sangh Puna
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आधाMBERaसाजन आचार्य अत्र श्रीआनन्दपाश्रीआनन्दमा अशान
प्राकृत भाषा और साहित्य
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ई-अमृत बीज का मूल, कार्य-साधक, अल्प-शक्ति द्योतक, ज्ञानवर्धक, स्तम्भक, मोहक, जम्भक । उ-उच्चाटन बीजों का मूल, अद्भुत शक्तिशाली, श्वासनलिका द्वारा जोर का धक्का देने
पर मारक । ऊ-उच्चाटक और मोहक बीजों का मूल, कार्यध्वंस के लिए शक्तिदायक । कृ-ऋद्धि बीज, सिद्धिदायक बीजों का मूल । ब-सत्य का संचारक, वाणी का ध्वंसक, लक्ष्मी बीज की उत्पत्ति का कारण । ए-निश्चल, पूर्ण, गतिसूचक, अनिष्ट निवारण बीजों का जनक । ऐ—उदात्त, उच्च स्वर का प्रयोग करने पर वशीकरण बीजों का जनक, जल बीज की उत्पत्ति
का कारण, शासन देवताओं को आह्वान करने में सहायक, ऋण विद्य त का उत्पादक । ओ-अनुदात्त-निम्न स्वर की अवस्था में माया बीज का जनक, उदात्त-उच्च स्वर की
अवस्था में कठोर कार्यों का जनक बीज, रमणीय पदार्थों की प्राप्ति हेतु प्रयुक्त होने वाले
बीजों का अग्रणी, अनुस्वारान्त बीजों का सहयोगी। औ-मारण और उच्चाटन सम्बन्धी बीजों के प्रधान, शीघ्र कार्य साधक, निरपेक्षी। अं—स्वतन्त्र शक्ति रहित, कर्माभाव के लिए प्रयुक्त ध्यान मन्त्रों में प्रमुख, शून्य या अभाव का
सूचक, आकाश बीज का मूल, अनेक मृदुल शक्तियों का उद्घाटक लक्ष्मी बीजों का मूल । अ:- शान्ति बीज का जनक, निरपेक्षावस्था में कार्य असाधक, सहयोगी का अपेक्षक । क-शक्ति बीज, प्रभावशाली, सुखोत्पादक, कामबीज का जनक । ख-आकाश बीज, अभाव कार्यों की सिद्धि के लिए कल्पवृक्ष । ग-पृथक् करने वाले कार्यों का साधक, प्रणव और माया बीज के कार्य सहायक । घ-स्तम्भक बीज, मारण और मोहक बीजों का जनक । ङ-शत्रु का विध्वंसक, स्वर मातृका बीजों के सहयोगानुसार फलोत्पादक । च-अंगहीन, खण्डशक्ति द्योतक, उच्चाटन बीज का जनक । छ-छाया सूचक, मायाबीज का सहयोगी, आपबीज का जनक । ज-नूतन कार्यों का साधक, आधि-व्याधि का शामक, आकर्षकबीजों का जनक । झ-रेफ युक्त होने पर कार्य साधक, श्रीबीजों का जनक । अ-स्तम्भक और मोहक बीजों का जनक, साधना का अवरोधक । ट-बहिनबीज, आग्नेय कार्यों का प्रसारक और निस्तारक । ठ-अशुभ सूचक बीजों का जनक, क्लिष्ट और कठोर कार्यों का साधक, अशान्ति का जनक,
सापेक्ष होने पर द्विगुणित शक्ति का विकासक, बनि बीज । ड-शासन देवताओं की शक्ति का प्रस्फोटक, निकृष्ट आचार-विचार द्वारा साफल्योत्पादक,
अचेतन क्रिया साधक । ढ--निश्चल, माया बीज का जनक, मारण बीजों में प्रधान ।
का
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