Book Title: Anandrushi Abhinandan Granth
Author(s): Vijaymuni Shastri, Devendramuni
Publisher: Maharashtra Sthanakwasi Jain Sangh Puna
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जैन साहित्य में क्षेत्र-गणित
४३७
समद्विबाह समलम्ब चतुर्भुज का क्षेत्रफल८६
=1/2(मुख+भूमि) ऊँचाई वृत्त का क्षेत्रफल
=1/4Xपरिधि- व्यास वृत्त-खण्ड का सन्निकट क्षेत्रफल -10 जीवा X वाण
4 वृत्त-खण्ड का सूक्ष्म क्षेत्रफल -1/2 (जीवा+वाण)xवाण त्रिभुज के अवधाओं तथा लम्ब निकालने का नियम
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CENTE
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स,- (स+अब)
स,= ( स-अ-ब) तथा ल=/अ-स. अथवा
आधार के
Vब-स
चित्र ५४ यहाँ अ, ब, और स त्रिभुज की भुजाओं का निरूपण करते हैं। स, और स ऐसे दो खण्ड हैं जिनका योग स है तथा ल शीर्ष से आधार पर गिराया गया लम्ब है। चतुर्भुज के विकों का मान निकालने के लिये नियम यदि अ, ब, स और द चतुर्भुज की भुजाओं की माप हों तो चतुर्भुज का विकर्ण (अ. स ब . द) (अ. ब.+स.द)
अ. द+स. द अथवा
(अ. स+ब. द) (अ. द.+ब.स)
अ. ब+स. द आयतन सम्बन्धी सूत्र
"तिलोयपण्णत्ति' में आयतन सम्बन्धी निम्नलिखित सूत्र मिलते हैं :
लम्ब पम्पार्व का आयतन २=आधार का क्षेत्रफल x सम्पावं की ऊँचाई घनाकार सान्द्र का आयतन 3="
जबकि / घनाकार सान्द्र की एक कोर की लम्बाई है। आयतज का आयतन ४ =लम्बाई-चौड़ाईxऊँचाई बेलन का आयतन: ५=/10 (त्रिज्या)Px ऊँचाई
समान्त रानीक (Parallelepiped) का आयतन ६ =लम्बाई चौड़ाई x उत्सेध
शंखाकार सान्द्र का आयतन ७ =आधार का। क्षेत्रफल x उत्सेध
-----ऊंचाई
मोटाई
+
-भूमि
चित्र ५५
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आचार्यप्रकट भआचार्यप्रवरअ श्राआनन्दाग्रन्थ श्राआनन्द
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