Book Title: Anandrushi Abhinandan Granth
Author(s): Vijaymuni Shastri, Devendramuni
Publisher: Maharashtra Sthanakwasi Jain Sangh Puna
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आभभवक अमरदेव आआनन्दी श्र
धर्म और दर्शन
४३६
अतः अभीष्ट सीमित क्षेत्र का क्षेत्रफल
-G×4=] ^ 2
4
1
X
4 4
1 36 36 3 X
3 2 2
81
4
=20
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1
4
प्रश्न 2 - तीन वृत्त, जिनके व्यास की माप 6, 5 और 4 है एक-दूसरे को स्पर्श करते हैं । बतलाओ इन वृत्तों द्वारा घिरे हुये क्षेत्र का क्षेत्रफल क्या है । ८१
हल --- इस प्रश्न में (चित्र ४५ के अनुसार ) तीनों वृत्तों के व्यास स्पर्श बिन्दुओं में से गुजारने पर AABC बनता है। इस परिमिति = 6+5+ 4 = 15 हुई और भुजाओं की संख्या 3 है ।
की
अतः वृत्तों द्वारा घिरे हुये क्षेत्र का क्षेत्रफल
1=
¥[G×3]
15 15
1
अभिनन्दन
25
8
3
1
8
I
धनुषाकार आकृति का सन्निकट क्षेत्रफल
धनुषाकार क्ष ेत्र, वृत्त का अवधा जैसा होता है। यहाँ धनुष, वृत्त का चाप, धनुष की डोरी और वाण, चाप और डोरी के बीच की महत्तम लम्ब दूरी होती है।
यदि वाण = 1 और डोरी K हो तो,
धनुषाकार आकृति का क्षेत्रफल २ = ( K + 1) ×1/2
और धनुषाकार आकृति का सूक्ष्म क्षेत्रफल 53=Kx KX 1/1/ XVIO यवाकार आकृति का सूक्ष्म क्षेत्रफल ४
यवाकार आकृति का सूक्ष्म क्षेत्रफल = KX XV 10
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3
जबकि 1 दोनों ओर के पूर्ण वाण की लम्बाई है ।
चतुर्भुज के परिगत और अन्तर्गत वृत्त के सन्निकट क्षेत्रफल १५
परिगत वृत्त का क्षेत्रफल =: - 3 / 2 X चतुर्भुज का क्षेत्रफल
तथा अर्न्तगत वृत्त का क्ष ेत्रफल = - 3 / 4 X चतुर्भुज का क्षेत्रफल
'गोम्मटसार' तथा 'त्रिलोकसार' में क्षेत्रफल से सम्बन्धित निम्नलिखित सूत्र उपलब्ध
होते हैं ।
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