Book Title: Anandrushi Abhinandan Granth
Author(s): Vijaymuni Shastri, Devendramuni
Publisher: Maharashtra Sthanakwasi Jain Sangh Puna
View full book text
________________
अभिनन्दन हो शत-शत वार
--मुनि महेन्द्रकुमार 'कमल'
[उदीयमान कवि, चिन्तक तथा प्रभावशाली वक्ता ]
O
श्रमण संघ के सिंहासन पर हो
ज्योतिर्धर आचार्यप्रवर का अभिनन्दन हो शत-शत वार । जन्म-मृत्यु से घिरे जगत में, जन्म-मृत्यु से बहुत परे हो आसीन अधिक निखरे हो, ज्ञान- देवता की प्रतिमूर्ति सात वाणियों ने मिलकर के लिया देह - मिस नव्याकार, ज्योतिर्धर आचार्यप्रवर का अभिनन्दन हो शत-शत वार । प्रतिभा ने, औ विनयभाव ने एक हृदय में पाया स्थान निरभिमान विद्वान व्यक्ति हो, है यह भी आश्चर्य महान, आपके द्वारा देखो भारत के कोने-कोने में, ज्ञान प्रेम का प्रबल प्रचार, ज्योतिर्धर आचार्यप्रवर का, अभिनन्दन हो शत-शत वार ।
उर कोमल है, स्वर कोमल है, करतल शतदल सम कोमल, कोमलता-युत अनुशासन में, केवल निश्छलता का बल, पदतल युगल अधिक कोमल हैं कोमलता से घिरे हुए हो फिर भी करते कठिन विहार, ज्योतिर्धर आचार्यप्रवर का अभिनन्दन हो शत शत वार । पचहत्तरवें जन्मदिवस पर अभिनन्दन मैं करता हूँ श्रद्धा-सुमनस की पंखुरियाँ चार पंक्तियाँ धरता हूँ मुनि महेन्द्र 'कमल' कहता हैदेते रहो प्रकाश जगत को, श्रमण संगठन के शृंगार, ज्योतिर्धर आचार्य प्रवर का, अभिनन्दन हो शत-शत वार ।
Jain Education International
श्री आनन्दन ग्रन्थ
九
For Private & Personal Use Only
隱
आयवर अभिनन्दन
www.jainelibrary.org