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(२) विभागनिष्पन्नक्षेत्रप्रमाण
३३२. से किं तं विभागणिफण्णे ? विभागणिफण्णे
अंगुल विहत्थि रयणी कुच्छी धणु गाइयं च बोद्धव्यं ।
जोयणसेढी पयरं लोगमलोगे वि य तहेव॥१॥ ३३२. (प्र.) विभागनिष्पन्नक्षेत्रप्रमाण क्या है ?
(उ.) अंगुल, वितस्ति (बेंत, बालिश्त, बित्ता), रनि-(मुंड हाथ, बॅधी मुट्ठी का हाथ), कुक्षि-(दो हाथ नाप), धनुष-(चार हाथ प्रमाण), गाऊ-(गव्यूत दो कोस प्रमाण), योजन
(चार कोस), श्रेणि-(असंख्य कोटाकोटि योजन), प्रतर-(श्रेणि से श्रेणि को गुणा करने पर * जो क्षेत्र आता है वह प्रतर), लोक और अलोक को विभागनिष्पन्नक्षेत्रप्रमाण कहा है ॥१॥
विवेचन-प्रदेशनिष्पन्नता और विभागनिष्पन्नता में मुख्य अन्तर यह है कि प्रदेशनिष्पन्नता में क्षेत्र अपने ही प्रदेशो द्वारा जाना जाता है, वे उससे अलग नहीं होते, लेकिन विभागनिष्पन्नता मे उसी क्षेत्र 2 को बाह्य साधनो, जैसे-अगुल, वितस्ति आदि से जाना जा सकता है। विभागनिष्पन्न की आद्य इकाई * अगुल है। (2) VIBHAG NISHPANNA KSHETRA PRAMANA
332. (Q.) What is this Vibhag nishpanna kshetra pramana (fragmentary standard of measurement of area)?
(Ans.) The (examples of) Vibhag nishpanna kshetra pramana (fragmentary standard of measurement of area) are as followsAngul (breadth of a human finger), Vitasti (balisht or bittabhar or the distance between tip of thumb and tip of little finger when fully stretched, it is approximately 12 anguls), Ratni (cubit or length of an arm with closed fist), Kukshu (two cubits), Dhanush (four cubits), Gau (two kosa or four miles), Yojan (four kosa or eight miles), Shreni (innumerable kota-koti yojans, kota-koti being ten million multiplied by ten million), Pratar (shreni multiplied by shreni), Loka (occupied space) and Aloka (unoccupied space or the space beyond). (1)
Elaboration—The basic difference between Pradesh nishpanna (space-point related) and Vibhag nishpanna (fragmentary) is that in the सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
(72)
Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
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