________________
or inferential knowledge In conclusion, to percieve the invisible or nonevident reality is anumaan.
पूर्ववत् अनुमान ४४१. से किं तं पुव्ववं ?
पुव्ववं - माता पुत्तं जहा नट्ठ जुवाणं पुणरागतं ।
काई पच्चभिजाणेज्जा पुव्यलिंगेण केण ॥१ ॥
तं जहा- खतेण वा वणेण वा मसेण वा लंछणेण वा तिलएण वा । से तं पुव्ववं । ४४१. (प्र.) पूर्ववत् अनुमान किसे कहते हैं ?
(उ.) (पूर्व में देखे गये लक्षण से जो निश्चय किया जाये उसे पूर्ववत् कहते हैं) जैसेमाता बाल्यकाल से गुम हुए और युवा होकर वापस आये हुए अपने पुत्र को देखकर किसी पूर्व निश्चित चिन्ह से पहचानती है कि यह मेरा ही पुत्र है ॥१ ॥
जैसे - देह में लगे क्षत-चोट, व्रण- कुत्ता आदि के काटने से हुए घाव, लांछन- डाम आदि से बने चिन्ह विशेष, शरीर पर बने मष, तिल आदि से जो अनुमान किया जाता है, वह पूर्ववत् अनुमान है।
PURVAVAT ANUMAAN
441. (Q.) What is this Purvavat Anumaan (inference by previously known characteristics)?
(Ans.) (An example of) Purvavat Anumaan (inference by previously known characteristics) is-A mother recognizes her long lost and now youthful son on his return by means of some earlier known characteristic mark. (1)
Some examples of marks being-a scar of an injury or a wound, mole, tattoo, freckles etc.
This concludes the description of Purvavat Anumaan (inference by previously known characteristics).
शेषवत् अनुमान
४४२. से किं तं सेसवं ?
सेसवं पंचविहं पण्णत्तं । तं जहा- कज्जेणं, कारणेणं, गुणेणं, अवयवेणं, आसएणं । ४४२. ( प्र .) शेषवत् अनुमान क्या है ?
भावप्रमाण- प्रकरण
Jain Education International
( 279 )
The Discussion on Bhaava Pramana
For Private Personal Use Only
www.jainelibrary.org