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(७) गणनासंख्या __४९७. से किं तं गणणासंखा ?
गणणासंखा एक्को गणणं न उवेति, दुप्पभितिसंखा। तं जहा-१. संखेज्जए, २. असंखेज्जए, ३. अणंतए।
४९७. (प्र.) गणनासंख्या क्या है ?
(उ.) 'एक' (१) की गणना नहीं होती है इसलिए दो से गणना प्रारम्भ होती है। वह गणनासंख्या-(१) संख्यात, (२) असंख्यात, और (३) अनन्त, इस तरह तीन प्रकार की जानना चाहिए।
विवेचन-गणना दो से प्रारम्भ होती है। एक सख्या तो है, किन्तु गणना नहीं है। एक का वर्ग करने से १ ४ १ = १ ही आता है, अर्थात् सख्या में वृद्धि नहीं होती, इसलिए 'एक' गणनासंख्या मे नहीं गिना जाता। (लोक प्रकाश ४/३१०) यह गणनासंख्या सख्येय (संख्यात), असंख्येय (असख्यात) और अनन्त के भेद से तीन प्रकार की है। (7) GANANA SAMKHYA (SAMKHYA AS COUNTING) ___497.(Q.) What is this Ganana samkhya (samkhya as counting) ?
(Ans.) As one (1) is beyond the scope of counting, the numbers (samkhya) start from two (2) and Ganana samkhya (samkhya as counting) is as follows—(1) Samkhyat (countable), (2) Asamkhyat (uncountable or innumerable), and (3) Anant (infinite). ____Elaboration-Counting starts with the numeral two (2). Although one (1) is a numeral it has no mathematical significance. The square of one is one only, which means it does not increase and that is the reason it is not included in Ganana samkhya (number as counting) (Lok Prakash 4/310) This Ganana samkhya (number as counting) is of three kinds countable, uncountable and infinite संख्यात आदि के तीन भेद
४९८. से किं तं संखेज्जए ? संखेज्जए तिविहे पण्णत्ते। तं जहा-जहण्णए उक्कोसए अजहण्णमणुक्कोसए। ४९८. (प्र.) संख्यात का स्वरूप क्या है ?
(उ.) संख्यात तीन प्रकार का है, जैसे-(१) जघन्य संख्यात, (२) उत्कृष्ट संख्यात, और (३) अजघन्य-अनुत्कृष्ट (मध्यम) संख्यात।
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सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
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Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
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