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3. अनुगमद्वार 3. ANUGAM DVAR (APPROACH OF INTERPRETATION)
अनुगम निरूपण
६०१. से किं तं अणुगमे ? अणुगमे दुविहे पण्णत्ते। तं जहा-सुत्ताणुगमे य निज्जुत्तिअणुगमे य। ६०१. (प्र.) अनुगम क्या है ? (उ.) अनुगम के दो भेद हैं। वे इस प्रकार हैं-(१) सूत्रानुगम, और (२) नियुक्त्यनुगम।
विवेचन-आचार्य श्री आत्माराम जी म. ने वृत्ति व चूर्णि के आधार पर अनुगम के दो अर्थ किये हैं
(१) सूत्र के अनुकूल अर्थ या विवेचन करना। (२) गुरु द्वारा सूत्रानुसारी अर्थ की वाचना प्रदान करना। सूत्रानुगम-सूत्र के व्याख्यान अर्थात् पदच्छेद आदि करके उसकी व्याख्या करना। निर्युक्त्यनुगम-नियुक्ति अर्थात् सूत्र के साथ पूर्ण रूप मे सम्बद्ध अर्थो को स्पष्ट करना। नाम, स्थापना आदि प्रकारों द्वारा विभाग करके विस्तार से सूत्र की व्याख्या करने की पद्धति नियुक्त्यनुगम है। ____ नियुक्ति' में दो शब्द हैं-नियुक्ति-अर्थ तथा युक्ति-स्पष्ट रूप से प्रतिपादन। इसमें मध्यवर्ती युक्ति शब्द का लोप होने से 'नियुक्ति' शब्द बना है। निश्चितोक्तिनियुक्ति (विभा)-निश्चित उक्ति नियुक्ति है। सूत्र का अर्थ करना अनुगम है। अर्थात् सूत्रानुसारी अर्थ करना नियुक्त्यनुगम है। DEFINING ANUGAM
601. (Q.) What is this Anugam (interpretation) ?
(Ans.) Anugam (interpretation) is of two kinds(1) Sutranugam, and (2) Nuryuktanugam.
Elaboration-Based on the commentaries (Vritti and Churni) Acharya Atmaram ji M. has given two meanings of Anugam (interpretation)
(1) To interpret and elaborate in accordance with the text/aphorism.
(2) To give a discourse about interpretation and elaboration given by the guru.
अनुगमद्वार
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Anugam Dvar (Approach of Interpretation)
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