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(उ.) उपोद्घातनिक्षेपनियुक्त्यनुगम का स्वरूप गाथा में बताये क्रम से इस प्रकार जानना चाहिए-(१) उद्देश, (२) निर्देश, (३) निर्गम, (४) क्षेत्र, (५) काल, (६) पुरुष, 9 (७) कारण, (८) प्रत्यय, (९) लक्षण, (१०) नय, (११) समवतार, (१२) अनुमत,
(१३) किम्-क्या, (१४) कितने प्रकार की, (१५) किसको, (१६) कहाँ पर,
(१७) किसमें, (१८) किस प्रकार-कैसे, (१९) कितने काल तक, (२०) कितनी, 9 (२१) अन्तरकाल (विरहकाल), (२२) अविरह (निरन्तरकाल), (२३) भव, 2 (२४) आकर्ष, (२५) स्पर्शन, और (२६) नियुक्ति। अर्थात् इन प्रश्नों का उत्तर 9 उपोद्घातनिक्षेपनियुक्त्यनुगम रूप है।
विवेचन-जिस सूत्र की जिस प्रसंग में जो व्याख्या करनी हो, उसकी पृष्ठभूमि तैयार करना उपोद्घात ॐ है। उपोद्घात के अर्थ का कथन उपोद्घातनिक्षेपनियुक्त्यनुगम है। इसके २६ द्वार इस प्रकार हैं
(१) उद्देश-सामान्य रूप से नाम का कथन करना। जैसे-'अध्ययन'। (२) निर्देश-विशेष नाम का कथन करना निर्देश है। जैसे-सामायिक।
(३) निर्गम-वस्तु के निकलने के मूल स्रोत की खोज करना निर्गम है। जैसे-सामायिक कहाँ से निकली। अर्थ रूप में तीर्थंकरों से और सूत्र रूप में गणधरों से सामायिक निकली।
(४) क्षेत्र-किस क्षेत्र में सामायिक की उत्पत्ति हुई ? सामान्य से समयक्षेत्र में और विशेषापेक्षया पावापुरी के महासेनवन (प्रथम समवरसण) में।
(५) काल-किस काल में सामायिक की उत्पत्ति हुई? वर्तमान काल की अपेक्षा वैशाख शुक्ला एकादशी के दिन प्रथम पौरुषीकाल में उत्पत्ति हुई।
(६) पुरुष-किस पुरुष से सामायिक निकली? सर्वज्ञ पुरुषो ने सामायिक का प्रतिपादन किया है, अथवा व्यवहारनय भरतक्षेत्र की अपेक्षा इस अवसर्पिणी काल में सर्वप्रथम भगवान ऋषभदेव ने और वर्तमान में अर्थ की अपेक्षा श्रमण भगवान महावीर ने अथवा सूत्र की अपेक्षा गौतमादि गणधरो ने प्रतिपादन किया।
(७) कारण-किस कारण गौतमादि गणधरों ने भगवान से सामायिक का श्रवण किया? संयतिभाव * की सिद्धि के लिए अथवा समता धर्म को जनता तक पहुँचाने के लिए।
(८) प्रत्यय-किस प्रत्यय (मूल कारण) से भगवान ने सामायिक का उपदेश दिया ? जनता को समता धर्म मे दीक्षित करने के लिए भगवान ने सामायिक का प्रवचन किया।
(९) लक्षण-सामायिक का लक्षण क्या है ? सम्यक्त्व-सामायिक का लक्षण तत्त्वार्थ की श्रद्धा, श्रुत-सामायिक का, जीवादि तत्त्वो का परिज्ञान और चारित्र-सामायिक का सर्वसावद्ययोगविरति है।
(१०) नय-नैगमादि नयो के मत से सामायिक कैसे होती है? जैसे-व्यवहारनय से पाठरूप * सामायिक और तीन शब्दनयों से जीवादि वस्तु का ज्ञानरूप सामायिक होती है।
सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
(458)
Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
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