Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Aryarakshit, Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
Publisher: Padma Prakashan

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Page 500
________________ ___ जस्स णं आए तिपयं सिक्खितं ठितं जाव अणुवओगो दबमिति कटु, जाव जावइया अणुवउत्ता आगमओ तावइया ते दवाया, जाव से तं आगमओ दवाए। ___ ५६१. (प्र.) आगम से द्रव्य-आय क्या है ? (उ.) जिसने 'आय' यह पद सीख लिया है, स्थिर कर लिया है किन्तु उपयोगरहित होने से वह द्रव्य है यावत् जितने उपयोगरहित हैं, उतने ही आगम से द्रव्य-आय है, यह आगम से द्रव्य-आय का स्वरूप जानना चाहिए। 561. (Q.) What is this Agamatah dravya aaya (physical-aaya with scriptural knowledge) ? (Ans.) Physical-aaya in context of Agam is like this (For instance) a persoa (an ascetic) has studied, absorbed (and so on). This is Agamatah dravya aaya (physical-aaya with scriptural knowledge). (as mentioned in case of Dravya adhyayan) ५६२. से किं तं नोआगमओ दव्याए ? नोआगमओ दवाए तिविहे पण्णत्ते। तं जहा-जाणयसरीरदव्वाए भवियसरीरदबाए जाणयसरीर- भवियसरीर-वइरित्ते दवाए। ५६२. (प्र.) नोआगमतःद्रव्य-आय क्या है? (उ.) नोआगमतःद्रव्य-आय के तीन प्रकार हैं। यथा-(१) ज्ञायकशरीरद्रव्य-आय, (२) भव्यशरीरद्रव्य-आय, और (३) ज्ञायकशरीर-भव्यशरीर-व्यतिरिक्तद्रव्य-आय। __562. (Q.) What is this No-agamatah dravya aaya (physical-aaya without scriptural knowledge) ? ____ (Ans.) No-agamatah dravya aaya (physical-aaya without scriptural knowledge) is of three types—(1) Jnayak sharir dravya aaya, (2) Bhavya sharir dravya aaya, and (3) Jnayak sharirbhavya sharir-vyatirikta dravya aaya. ५६३. से किं तं जाणयसरीरदव्वाए ? जाणयसरीरदव्वाए आयपयत्थाहिकारजाणगस्स जं सरीरगं ववगय-चुत-चतियचत्तदेहं सेसं जहा दव्यज्झयणे, जाव से तं जाणयसरीरदव्वाए। ५६३. (प्र.) ज्ञायकशरीरद्रव्य-आय किसे कहते हैं ? निक्षेपद्वार : निक्षेप-प्रकरण (429) Nikshep Dvar (Approach of Attribution) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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