________________
(उ.) ज्ञायकशरीर-भव्यशरीर-व्यतिरिक्तद्रव्य-आय के तीन प्रकार हैं। यथा(१) लौकिक, (२) कुप्रावचनिक, और (३) लोकोत्तर। (सब वर्णन द्रव्य-आवश्यक के समान समझना चाहिए)
565. (Q.) What is this Jnayak sharir-bhavya sharir-vyatırikta dravya aaya (physical-aaya other than the body of the knower and the body of the potential knower) ?
(Ans.) Jnayak sharır-bhavya sharir-vyatirikta dravya aaya (physical acquisition other than the body of the knower and the body of the potential knower) is of three kinds—(1) Laukik (mundane). (2) Kupravachanik (pervert or heretik), and (3) Lokottar (spiritual). (details as in aphorism 19)
५६६. से किं तं लोइए? लोइए तिविहे पण्णत्ते। तं जहा-सचित्ते अचित्ते मीसए य। ५६६. (प्र.) (उभयव्यतिरिक्त) लौकिकद्रव्य-आय क्या है ?
(उ.) लौकिकद्रव्य-आय के तीन प्रकार कहे हैं, जैसे-(१) सचित्त, (२) अचित्त, और (३) मिश्र।
566. (Q.) What is this Laukik dravya aaya (mundane physical
acquisition)? het (Ans.) Laukık dravya aaya (mundane physical acquisition) is of
three types—(1) Sachitta dravya aaya, (2) Achitta dravya aaya, and (3) Mishra dravya aaya.
५६७. से किं तं सचित्ते ?
सचित्ते तिविहे पण्णत्ते। तं जहा-दुपयाणं चउप्पयाणं अपयाणं। दुपयाणं दासाणं, दासीणं, चउप्पयाणं आसाणं हत्थीणं, अपयाणं अंबाणं अंबाडगाणं आये। से तं सचित्ते। __५६७. (प्र.) सचित्त लौकिक-आय क्या है ?
(उ.) सचित्त लौकिक-आय के तीन प्रकार हैं। यथा-(१) द्विपद-आय, (२) चतुष्पद-आय, और (३) अपद-आय। इनमें से दास-दासियों की आय (प्राप्ति) द्विपद-आय है। अश्वों (घोड़ों), हाथियों की प्राप्ति चतुष्पद-आय और आम, आमला के वृक्षों आदि की प्राप्ति अपद-आय है। यह सचित्त आय का स्वरूप है।
निक्षेपद्वार निक्षेप-प्रकरण
(431)
Nikshep Dvar (Approach of Attribution)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org