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(2) Maan kshapana (eradication of attitude of conceit), (3) Maya en kshapana. (eradication of attitude of deceit), and (4) Lobha kshapana (eradication of attitude of greed).
This concludes the description of Prashast no-agamatah bhaava kshapana (noble eradication as essence without scriptural knowledge).
५९२. से किं तं अप्पसत्था ? ___ अप्पसत्था तिविहा पण्णत्ता। तं जहा-नाणज्झवणा दंसणज्झवणा चरित्तज्झवणा। से तं अप्पसत्था। से तं नोआगमओ भावज्झवणा। से तं भावज्झवणा। से तं झवणा। से तं ओहनिष्फण्णे।
५९२. (प्र.) अप्रशस्तभाव-क्षपणा क्या है ?
(उ.) अप्रशस्तभाव-क्षपणा तीन प्रकार की है। यथा-(१) ज्ञान-क्षपणा, (२) दर्शन-क्षपणा, और (३) चारित्र-क्षपणा। यही अप्रशस्तभाव-क्षपणा है।
इस प्रकार से नोआगमभाव-क्षपणा, भाव-क्षपणा, क्षपणा और साथ ही ओघनिष्पन्ननिक्षेप का वर्णन पूर्ण हुआ।
विवेचन-यहाँ क्षपणा के प्रसंग में क्रोध, मान, माया, लोभ के क्षय को प्रशस्त इसलिए माना गया है कि क्रोधादि भाव संसार वृद्धि के कारण हैं, अतएव संसार के कारणभूत इन क्रोधादि का क्षय प्रशस्त/शुभ होने से प्रशस्तभाव-क्षपणा है और इससे विपरीत ज्ञानादि का क्षय अप्रशस्त है क्योंकि आत्म-गुणों की क्षीणता संसार का कारण है।
592. (Q.) What is this Aprashast no-agamatah bhaava kshapana (ignoble eradication as essence without scriptural knowledge)? ___(Ans.) Aprashast no-agamatah bhaava kshapana (ignoble eradication as essence without scriptural knowledge) is of attitude of three kinds--(1) Jnana kshapana (eradication of knowledge), (2) Darshan kshapana (eradication of perception or faith), and (3) Charitra kshapana (eradication of conduct).
This concludes the description of Aprashast no-agamatah bhaava kshapana (ignoble eradication as essence without scriptural knowledge). This concludes the description of Noagamatah bhaava kshapana (perfect-kshapana without scriptural सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
(444) Illustrated Anuyogadvar Sutra
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