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नाम-स्थापना- द्रव्यसमवतार
५२८. से किं तं णामसमोयारे ?
नाम-ठवणाओ पुव्ववण्णियाओ।
५२८. (प्र.) नाम-स्थापनासमवतार क्या है ?
( उ ) नाम और स्थापना (समवतार) का वर्णन पूर्ववत् - सूत्र १० - ११ के समान जानना चाहिए ।
NAAM, STHAPANA AND DRAVYA SAMAVATAR
528. (Q.) What is this Naam and Sthapana Samavatar (assimilation as name and notional installation)?
(Ans.) Naam and Sthapana Samavatar (assimilation as name and notional installation) should be taken to be same as Naamavashyak and Sthapana-avashyak (aphorism 10-11).
५२९. से किं तं दव्वसमोयारे ?
दव्यसमोयारे दुविहे पण्णत्ते । तं . - आगमतो य णोआगमतो य। जाव से तं भवियसरीर - दव्वसमोयारे ।
५२९. (प्र.) द्रव्यसमवतार क्या है ?
( उ ) द्रव्यसमवतार दो प्रकार का है - ( १ ) आगमतः द्रव्यसमवतार, तथा (२) नोआगमतः द्रव्यसमवतार। आगमतः द्रव्यसमवतार का तथा नोआगमतः द्रव्यसमवतार के भेद ज्ञायकशरीर और भव्यशरीर नोआगमतः द्रव्यसमवतार का स्वरूप पूर्ववत् द्रव्यावश्यक के प्रकरण में बताये भेदों के समान जानना चाहिए।
529. (Q.) What is this dravya samavatar (physical aspect of assimilation) ?
(Ans.) Dravya samavatar (physical aspect of assimilation) is of two kinds-Agamatah-dravya samavatar (physical aspect of assimilation in context of Agam) and No-Agamatah-dravya samavatar (physical aspect of assimilation not in context of Agam or only in context of action). From this point up to Jnayak sharirbhavya sharır vyatirikta dravya samavatar (physical-assimilation other than the body of the knower and the body of the potential
सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र - २
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Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
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