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Elaboration-For details of terms like chatushashtika see aphorism 321. ___Mana, ardhamani, chaturbhagika etc. are the weight measures prevalent in Magadh during that period. Here they have been used to illustrate that a small measure like chatushashtika gets assimilated into a larger measure like dvatrinshika. Mani is just one example of samavatar (assimilation), which covers a very wide field. It is applicable in all fields including metaphysical. क्षेत्रसमवतार का स्वरूप
५३१. से किं तं खेत्तसमोयारे ? खेत्तसमोयारे दुविहे पण्णत्ते। तं जहा-आयसमोयारे य तदुभयसमोयारे य।
भरहे वासे आयसमोयारेणं आयभावे समोयरति, तदुभयसमोयारेणं जंबूद्दीवे समोयरति आयभावे या ___ जंबूद्दीवे दीवे आयसमोयारेणं आयभावे समोयरति, तदुभयसमोयारेणं तिरियलोए समोयरति आयभावे य।
तिरियलोए आयसमोयारेणं आयभावे समोयरति, तदुभयसमोयारेणं लोए समोयरति आयभावे य।
से तं खेत्तसमोयारे। ५३१. (प्र.) क्षेत्रसमवतार क्या है ?
(उ.) क्षेत्रसमवतार (लघु क्षेत्र से बृहत् क्षेत्र में समवतरित करना क्षेत्रसमवतार है) दो प्रकार का है, यथा-(१) आत्मसमवतार, और (२) तदुभयसमवतार।। ___ आत्मसमवतार की अपेक्षा भरतक्षेत्र आत्मभाव (अपने) में रहता है और तदुभयसमवतार की अपेक्षा आत्मभाव में भी रहता है और जम्बूद्वीप में भी रहता है।
___ आत्मसमवतार की अपेक्षा जम्बूद्वीप आत्मभाव में रहता है और तदुभयसमवतार की ॐ अपेक्षा तिर्यक्लोक (मध्यलोक) में भी रहता है और आत्मभाव में भी। ____ आत्मसमवतार से तिर्यक्लोक आत्मभाव में समवतरित होता है और तदुभयसमवतार की अपेक्षा लोक में समवतरित होता है और आत्मभाव-निजरूप में भी।
यही क्षेत्रसमवतार का स्वरूप है।
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वक्तव्यता-प्रकरण
(403)
The Discussion on Vaktavyata
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