________________
२. निक्षेपद्वार : निक्षेप-प्रकरण 2. NIKSHEP DVAR (APPROACH OF ATTRIBUTION)
निक्षेप निरूपण
५३४. से किं तं निक्खेवे ? निक्खेवे तिविहे पण्णत्ते। तं जहा-ओहनिप्फण्णे नामनिष्फण्णे सुत्तालावगनिष्फण्णे
*
__५३४. (प्र.) निक्षेप क्या हैं?
(उ.) निक्षेप के तीन प्रकार हैं। यथा-(१) ओघनिष्पन्न, (२) नामनिष्पन्न, और (३) सूत्रालापकनिष्पन्न।
विवेचन-स्थापना आदि चार निक्षेपो का वर्णन भाग १, पृ. २१, सूत्र ८ में किया जा चुका है। यहाँ अन्य प्रकार से निक्षेप के तीन भेद बताये हैं
(१) ओघनिष्पन्न-ओघ का अर्थ है सामान्य। सामान्य रूप में अध्ययन आदि श्रुत नाम से निष्पन्न जो निक्षेप हो, उसे ओघनिष्पन्ननिक्षेप कहते हैं। सामायिक, चतुर्विंशतिस्तव आदि को 'अध्ययन' कहते है। इसका वर्णन आगे सूत्र ५३५ से ५९२ तक में किया है।
(२) नामनिष्पन्न-श्रुत के ही सामायिक आदि विशेष नामो से निष्पन्न निक्षेप नामनिष्पन्ननिक्षेप कहलाता है। इसका वर्णन सूत्र ५९३ से ६०० तक मे है।
(३) सूत्रालापकनिष्पन्न-'करेमि भंते सामाइयं' इत्यादि सूत्र के पद विभाग से होने वाला निक्षेप सूत्रालापकनिष्पन्न निक्षेप है। सूत्र ६०१ में इसका वर्णन है। TYPES OF NIKSHEP ____534. (Q.) What is this nikshep (attribution) ? ___ (Ans.) Nikshep (attribution) is of three kinds-(1) Ogha nishpanna. (pertaining to general nomenclature), (2) Naam nishpanna (pertaining to specific name), and (3) Sutralapak nishpanna (pertaining to text recitation). ____Elaboration-The four kinds of nikshep (attribution) including sthapana (notional installation) have been described in aphorism 8 (Illustrated Anuyogadvar Sutra, Part I, p. 21). Here three different categories from another angle are discussed सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
(412)
Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
OST
*
+
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org