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द्रव्य-अध्ययन
५३८. से किं तं दत्वज्झयणे ? दव्वज्झयणे दुविहे पण्णत्ते। तं जहा-आगमओ णोआगमओ य। ५३८. (प्र.) द्रव्य-अध्ययन क्या है?
(उ.) द्रव्य-अध्ययन के दो प्रकार हैं। यथा-(१) आगम से, और (२) नोआगम से। DRAVYA ADHYAYAN ____538. (Q.) What is this Dravya adhyayan (physical aspect of chapter/concentration of mind) ?
(Ans.) Dravya adhyayan (physical aspect of chapter/ _concentration of mind)) is of two kinds-(1) Agamatah dravya adhyayan (physical aspect of adhyayan in context of Agam or in context of knowledge), and (2) No-agamatah dravya adhyayan (physical aspect of adhyayan not in context of Agam or only in context of action).
५३९. से किं तं आगमतो दब्वज्झयणे ?
आगमतो दव्वज्झयणे जस्स णं अज्झयणे त्ति पदं सिक्खितं ठितं जितं मितं परिजितं जाव जावइया अणुवउत्ता आगमओ तावइयाई दव्यज्झयणाई। एवमेव ववहारस्स वि। संगहस्स णं एगो वा अणेगो वा तं चेव भाणियध्वं जाव से तं आगमतो दव्वज्झयणे।
५३९. (प्र.) आगम से द्रव्य-अध्ययन क्या है?
(उ.) जिसने ‘अध्ययन' इस पद को सीख लिया है, अपने (हृदय) में स्थिर कर लिया है, जित, मित और परिजित कर लिया है यावत् जितने भी उपयोग से शून्य हैं, वे आगम से द्रव्य-अध्ययन हैं। यह नैगमनय का मत है। इसी प्रकार (नैगमनय जैसा ही) व्यवहारनय का मत है, संग्रहनय के मत से एक या अनेक आत्माएँ एक आगमद्रव्य-अध्ययन हैं, इत्यादि समग्र वर्णन आगमद्रव्य-आवश्यक जैसा ही सूत्र १३ के अनुसार यहाँ जानना चाहिए। यह आगमद्रव्य-अध्ययन का स्वरूप है।
539. (Q.) What is this Agamatah dravya adhyayan (physicaladhyayan with scriptural knowledge) ? ___(Ans.) Physical-adhyayan in context of Agam is like this-(For instance) a person (an ascetic) has studied, absorbed, retained, निक्षेपद्वार निक्षेप-प्रकरण
(415) Nikshep Dvar (Approach of Attribution)
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