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dependent on others, in the same way as pillar in the house and o neck of a pitcher..
(२) अहवा जाणयसरीर-भवियसरीर वइरित्ते दव्यसमोयारे दुविहे पण्णत्ते। - तं जहा-आयसमोयारे य तदुभयसमोयारे य।
चउसडिया आयसमोयारेणं आयभावे समोयरति, तदुभयसमोयारेणं बत्तीसियाए समोयरति आयभावे य।
बत्तीसिया आयसमोयारेणं आयभावे समोयरति, तदुभयसमोयारेणं सोलसियाए समोयरति आयभावे य। ___ सोलसिया आयसमोयारेणं आयभावे समोयरति, तदुभयसमोयारेणं अट्ठभाइयाए
समोयरति आयभावे य। ___ अट्ठभाइया आयसमोयारेणं आयभावे समोयरति, तदुभयसमोयारेणं चउभाइयाए
समोयरति आयभावे य। ___ चउभाइया आयसमोयारेणं आयभावे समोयरति, तदुभयसमोयारेणं अद्धमाणीए समोयरइ आयभावे य।
अद्धमाणी आयसमोयारेणं आयभावे समोयरति, तदुभयसमोयारेणं माणीए समोयरति आयभावे य।
से तं जाणयसरीर-भवियसरीर वइरिते दव्यसमोयारे। से तं नोआगमओ दव्यसमोयारे। से तं दब्बसमोयारो।
(२) अथवा ज्ञायकशरीर-भव्यशरीर-व्यतिरिक्तद्रव्यसमवतार दो प्रकार का हैॐ (१) आत्मसमवतार, और (२) तदुभयसमवतार। ___ जैसे आत्मसमवतार से चतुष्षष्टिका (चौंसठिया = चार पल) आत्मभाव में रहती है
और तदुभयसमवतार की अपेक्षा द्वात्रिंशिका (बत्तीसिया = आठ पल) में भी और अपने निजरूप में भी रहती है।
द्वात्रिंशिका आत्मसमवतार की अपेक्षा आत्मभाव में और उभयसमवतार की अपेक्षा * षोडशिका (सोलह पल वाली) में भी रहती है और आत्मभाव में भी रहती है।
सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
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Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
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