________________
अर्थाधिकार पद
DISCUSSION ON ARTHADHIKAR अर्थाधिकार निरूपण
५२६. से किं तं अत्थाहिगारे ? अत्थाहिगारे जो जस्स अज्झयणस्स अत्थाहिगारो। तं जहा
१. सावज्जजोगविरती, २. उक्कित्तण, ३. गुणवओ य पडिवत्ती।
४. खलियस्स निंदणा, ५. वणतिगिच्छ, ६. गुणधारणा चेव॥१॥ ५२६. (प्र.) अर्थाधिकार क्या है ?
(उ.) (आवश्यकसूत्र के) जिस अध्ययन का जो अर्थ-वर्ण्य विषय है, उसका कथन अर्थाधिकार कहलाता है। यथा__(१) (सावधयोगविरति)-अर्थात् सावध प्रवृत्तियों का त्याग प्रथम (सामायिक) अध्ययन का अर्थ (विषय) है।
(२) (चतुर्विंशतिस्तव नामक) दूसरे अध्ययन का अर्थ उत्कीर्तन-स्तुति करना है। __ (३) (वंदना नामक) तृतीय अध्ययन का अर्थ गुणवान् पुरुषों का सम्मान, वन्दना, नमस्कार करना है।
(४) (प्रतिक्रमण अध्ययन में) आचार में हुई स्खलनाओं-पापों आदि की निन्दा करने का अर्थाधिकार है।
(५) (कायोत्सर्ग अध्ययन में) व्रणचिकित्सा करने रूप दोष विशुद्धि का अर्थाधिकार है। (६) (प्रत्याख्यान अध्ययन का) गुण धारण करने रूप अर्थाधिकार है। यही अर्थाधिकार है। विवेचन-वक्तव्यता और अधिकार में अन्तर-वक्तव्यता और अर्थाधिकार में अन्तर यह है कि अर्थाधिकार अध्ययन के आदि पद (शब्द) से लेकर अन्तिम पद तक सम्बन्धित एवं अनुगत रहता है, जबकि वक्तव्यता देशादि-नियत होती है। अर्थाधिकार का क्षेत्र विस्तृत है जबकि वक्तव्यता सीमित अर्थ में होती है। ARTHADHIKAR
526. (Q.) What is this Arthadhikar (synopsis or purview)?
Calendesaksarakewerkesakesekesakse.ske.ske.sikesyake kesexkake.ske.ke.sakse.ke.ke.ke.ke.ke.ske.ketar
सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
(394)
Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org