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सख्याप्रमाण-प्रकरण THE DISCUSSION ON SAMKHYA PRAMANA
संख्याप्रमाण के आठ प्रकार
४७७. से किं तं संखप्पमाणे ?
संखप्पमाणे अट्ठविहे पण्णत्ते। तं जहा-१. नामसंखा, २. ठवणसंखा, ३. दव्यसंखा, ४. ओवम्मसंखा, ५. परिमाणसंखा, ६. जाणणासंखा, ७. गणणासंखा, ८. भावसंखा। __ ४७७. (प्र.) संख्याप्रमाण क्या है ?
(उ.) संख्याप्रमाण आठ प्रकार का है। यथा-(१) नामसंख्या, (२) स्थापनासंख्या, (३) द्रव्यसंख्या, (४) औपम्यसंख्या, (५) परिमाणसंख्या, (६) ज्ञानसंख्या, (७) गणनासंख्या, और (८) भावसंख्या।
विवेचन-जिसके द्वारा सख्या-गणना की जाये उसे गणनासंख्या कहते है। प्राकृत भाषा मे 'संख' शब्द से 'संख्या' और 'शंख' दोनों ही रूप बनते है। इस कारण यहाँ नाम-स्थापना आदि के विचार मे जहाँ-जहाँ संख्या अथवा शंख शब्द उपयुक्त घटित होता हो वहाँ-वहाँ उस-उस शब्द की योजनासगति कर लेना चाहिए। संख्या के प्रकरण में आगे क्रमश निम्न सख्या प्रमाणो का वर्णन किया जायेगा
औपम्यसंख्या-उपमा द्वारा वस्तु का बोध कराना औपम्यसंख्या है। (सूत्र ४९२) परिमाणसंख्या-इससे आगम का ग्रन्थ परिमाण जाना जाता है। (सूत्र ४९४) ज्ञानसंख्या-इससे विषय-वस्तु के ज्ञान के आधार पर जानने वाले का बोध होता है। (सूत्र ४९६) गणनासंख्या। (सूत्र ४९७)
भावशंख-तिर्यचगति के अन्तर्गत द्वीन्द्रिय जाति के औदारिक शरीरधारी जो जीव शखगति नाम-गोत्र का विपाकानुभव करते हैं, वे जीव भावशख हैं। (सूत्र ५२०) EIGHT TYPES OF SAMKHYA PRAMANA
477. (Q.) What is this Samkhya Pramana (standard of validity of samkhya) ?
(Ans.) Samkhya Pramana (standard of validity of samkhya) a is of eight types (1) Naam Samkhya (samkhya as name),
(2) Sthapana Samkhya (samkhya as notional installation),
संख्याप्रमाण-प्रकरण
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The Discussion on Samkhya Pramana
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