________________
जहा कोदिदैतो ? अयं घयकुंभे आसि। से तं जाणगसरीरदब्बसंखा।
४८५. (प्र.) ज्ञायकशरीरद्रव्यसंख्या क्या है ? _(उ.) 'संख्या' इस पद के अर्थाधिकार को जानने वाले व्यक्ति का जो शरीर है वह व्यपगत-चैतन्य से रहित हो गया हो, च्युत-च्यवित-त्यक्त देह यावत् जीवरहित शरीर को देखकर यदि कोई कहे-अहो ! इस शरीर रूप पुद्गलसघात (समुदाय) ने संख्या पद को
(गुरु से) ग्रहण किया था, पढ़ा था यावत् उपदर्शित किया था-नय और युक्तियों द्वारा * शिष्यों को समझाया था, (उसका वह शरीर ज्ञायकशरीरद्रव्यसंख्या है।)
(प्र.) इसका कोई दृष्टान्त है ?
(उ.) (हॉ, दृष्टान्त है-जैसे घडे में से घी निकालने के बाद भी कहा जाता है कि यह घी का घडा है। यह ज्ञायकशरीरद्रव्यसंख्या का स्वरूप है।
विशेष-चुय-चइत्त-चत्तदेह का अर्थ-आयुकर्म क्षय होने पर पके हुए फल के समान अपने आप पतित होने वाले शरीर को चुय (च्युत) विषादि के द्वारा आयु के छिन्न होने पर निर्जीव हुए शरीर को च्यवितशरीर तथा सलेखना-संथारापूर्वक स्वेच्छा से त्यागे गये शरीर को चत्तदेह (त्यक्त शरीर) कहा जाता है। JNAYAK SHARIR DRAVYA SHANKH/SAMKHYA
485. (Q.) What is this Jnayak sharir dravya shankh/samkhya (physical shankh/samkhya as body of the knower) ? ___(Ans.) Jnayak sharur dravya shankh / samkhya (physical shankh/samkhya as body of the knower) is explained thus . It is such a body of the knower of the purview of the meaning of shankh/samkhya that is dead or devoid of life naturally because of end of life-span defining karmas (chyut), that has been killed or deprived of life using a weapon or other means (chyavit) or that has voluntarily embraced death or has been voluntarily abandoned by the soul through fasting or other such religious act (tyakta deha) (This is because it is a natural reaction that) seeing such a body lying on a bed, mattress, cremation ground or Siddhashila someone utters-Oh ! This physical body was the instrument of learning the term shankh/samkhya, as preached by the Jina, from the guru; reciting and explaining it to disciples, confirming it by demonstration, giving its special lessons to weak
संख्याप्रमाण-प्रकरण
( 349)
The Discussion on Samkhya Pramana
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org