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४८९. बद्धाउए णं भंते ! बद्धाउए त्ति कालतो केवचिरं होति ? जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुष्चकोडीतिभाग। ४८९. (प्र.) बद्धायुष्क जीव बद्धायुष्क रूप में कितने काल तक रहता है ? (उ.) जघन्य अन्तर्मुहर्त और उत्कृष्ट एक पूर्वकोटि वर्ष के तीसरे भाग तक रहता है।
489. (Q.) Bhante ! For how long does a Baddhayushk being remain as Baddhayushk ?
(Ans.) A Baddhayushk being remains as Baddhayushk for a minimum of one antarmuhurt (less than 48 minutes) and maximum of one-third of Purvakoti. __ ४९०. अभिमुहनामगोत्ते णं भंते ! अभिमुहनामगोत्ते त्ति कालतो केवचिरं होति ?
जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं।
४९०. (प्र.) भंते ! अभिमुखनामगोत्र (शंख) का अभिमुखनामगोत्र नाम कितने काल तक रहता है?
(उ.) जघन्य एक समय, उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त काल तक रहता है। __490. (Q.) Bhante ! For how long does an Abhimukh-naam-gotra being remain as Abhimukh-naam-gotra ? ___ (Ans.) An Abhumukh-naam-gotra being remains as Abhimukhnaam-gotra for a minimum of one Samaya (less than 48 minutes) and maximum of one antarmuhurt (less than 48 minutes). एकभविक आदि शंखविषयक नयदृष्टि
४९१. इयाणिं को णओ कं संखं इच्छति ? __तत्थ णेगम-संगह-ववहारा तिविहं संखं इच्छंति, तं जहा-एक्कभवियं बद्धाउयं अभिमुहनामगोत्तं च। उजुसुओ दुविहं संखं इच्छति, तं जहा-बद्धाउयं च अभिमुहनामगोत्तं च। तिणि सद्दणया अभिमुहणामगोत्तं संखं इच्छंति। से तं जाणयसरीर-भवियसरीर-वइरित्ता दव्वसंखा। से तं नोआगमओ दव्वसंखा। से तं दव्यसंखा।
४९१. (प्र.) इन तीन शखो में से कौन नय किस शंख को मानता है ?
का संख्याप्रमाण-प्रकरण
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The Discussion on Samkhya Pramana
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