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it is not learning this being is called Bhavya sharir dravya shankh/samkhya (physical shankh/samkhya as body of the potential knower).
(Question asked by a disciple) Is there some analogy to confirm this? ____ (Answer by the guru) Yes, for example (it is conventionally said that) this will be a pot of butter (although at present it contains no butter).
This concludes the description of Bhavya sharir dravya shankh/samkhya (physical shankh/samkhya as body of the potential knower). (for more details refer to Illustrated Anuyogadvar Sutra, Part I, Aphorisms 16-19) ज्ञायकशरीर- भव्यशरीर-व्यतिरिक्तद्रव्यसंख्या
४८७. से किं तं जाणयसरीर-भवियसरीर-वइरित्ता दव्यसंखा ?
जाणयसरीर-भवियसरीर-वइरित्ता दव्यसंखा तिविहा पण्णत्ता। तं जहाएगभविए, बद्धाउए, अभिमुहणामगोत्ते य।
४८७. (प्र.) ज्ञायकशरीर-भव्यशरीर-व्यतिरिक्तद्रव्यसंख्या क्या है ?
(उ.) ज्ञायकशरीर-भव्यशरीर-व्यतिरिक्तद्रव्यसंख्या के तीन प्रकार हैं(१) एकभविक, (२) बद्धयुष्क, और (३) अभिमुखनामगोत्र।
विवेचन-एकभविक आदि का आशय-जिस जीव ने अभी तक शखपर्याय की आयु का बध नहीं किया है, परन्तु मरण के पश्चात् तुरन्त शखपर्याय प्राप्त करने वाला है अर्थात् शखभव की प्राप्ति के बीच मे एक वर्तमान भव है, इस अपेक्षा से वह एकभविक कहा गया है। जिस जीव ने शखपर्याय में उत्पन्न होने योग्य आयुष्य कर्म का बध कर लिया है, ऐसा जीव बद्धायुष्क कहलाता है। जो जीव अति निकट भविष्य मे शखयोनि मे उत्पन्न होने वाला है तथा जिस जीव के द्वीन्द्रिय जाति आदि नामकर्म एव नीचगोत्र रूप मोत्रकर्म जघन्य एक समय और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त के बाद उदय होने वाला है, उस जीव को अभिमुखनामगोत्रशंख कहते है। ये तीनो प्रकार के जीव भावशखता के कारण होने से शरीर
और भव्यशरीर इन दोनो से व्यतिरिक्त (भिन्न) द्रव्यशख कहे गये है। JNAYAK SHARIR-BHAVYA SHARIR-VYATIRIKTA DRAVYA SHANKH/SAMKHYA ____487. (Q.) What is this Jnayak sharir-bhavya sharur-vyaturikta dravya shankh/samkhya (physical shankh/samkhya other than the body of the knower and the body of the potential knower) ?
संख्याप्रमाण-प्रकरण
(351)
The Discussion on Samkhya Pramana
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