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४८०. नाम-ठवणाणं को पतिविसेसो ?
नामं आवकहियं, टवणा इत्तिरिया वा होज्जा आवकहिया वा ।
४८०. ( प्र . ) नाम और स्थापना में क्या अन्तर है ?
(उ.) नाम यावत्कथिक ( वस्तु के रहने पर्यन्त) होता है लेकिन स्थापना इत्वरिक (स्वल्पकालिक) भी होती है और यावत्कथिक भी होती है । (विशेष : सूत्र १२ के अनुसार समझें)
480. (Q.) What is the difference between naam and sthapana samkhya/shankh (samkhya/shankh as name and as notional installation ) ?
(Ans.) Name is lifelong whereas sthapana can be temporary as well as lifelong, both. (for details see Illustrated Anuyogadvar Sutra, Part I, Aphorism 12 )
(३) द्रव्यसंख्या
४८१. से किं तं दव्यसंखा ?
दव्यसंखा दुविहा पं. । तं - आगमओ य नोआगमओ य।
४८१. (प्र.) द्रव्यशंख (संख्या) क्या है?
(उ.) द्रव्यशंख (संख्या) के दो प्रकार हैं, जैसे - ( 9 ) आगमतः द्रव्यशंख,
और
(२) नोआगमतः द्रव्यशंख ।
(3) DRAVYA SAMKHYA /SHANKH
481. (Q.) What is this dravya shankh / samkhya (physical aspect of shankh / samkhya ) ?
(Ans.) Dravya shankh / samkhya (physical aspect of shankh / samkhya) is of two kinds-(1) Agamatah dravya shankh/samkhya (physical aspect of shankh/samkhya in context of Agam or in context of knowledge), (2) No-Agamatah dravya shankh/samkhya (physical aspect of shankh/samkhya not in context of Agam or only in context of action).
४८२. से किं तं आगमओ दव्वसंखा ?
सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र - २
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Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
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