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____ दाहिणड्डभरहे अणेगाइं गाम-णगर-खेड-कब्बड-मडंब-दोणमुह-पट्टणा
ऽऽगर-संवाह-सण्णिवेसाइं, तेसु सव्वेसु भवं वससि ? विसुद्धतराओ णेगमो भणतिपाडलिपुत्ते वसामि। ___पाडलिपुत्ते अणेगाइं गिहाइं, तेसु सम्बेसु भवं वससि ? विसुद्धतराओ णेगमो भणति-देवदत्तस्स घरे वसामि।
देवदत्तस्स घरे अणेगा कोट्ठगा, तेसु सव्वेसु भवं वससि ? विसुद्धतराओ णेगमो 9 भणति-गब्भघरे वसामि।
एवं विसुद्धतरागस्स णेगमस्स वसमाणो वसति। एवमेव ववहारस्स वि। संगहस्स संथारसमारूढो वसति। उज्जुसुयस्स जेसु आगासपएसेसु ओगाढो तेसु वसइ। तिण्हं सद्दनयाणं आयभावे वसइ। से तं वसहिदिटुंतेणं। ४७५. (प्र.) जिसके द्वारा नयों का स्वरूप जाना जाता है वह वसतिदृष्टान्त क्या है ?
(उ.) वसति के दृष्टान्त द्वारा नयों का स्वरूप इस प्रकार है-जैसे किसी पुरुष ने किसी * अन्य पुरुष से पूछा-"आप कहाँ रहते हैं ?" उसने अविशुद्ध नैगमनय के अनुसार उत्तर
दिया- 'मैं लोक मे रहता हूँ।" ___ पुनः पूछा-“लोक के तो तीन भेद हैं-ऊर्ध्वलोक, अधोलोक, तिर्यग्लोक। तो क्या
आप इन सबमें रहते हैं ?'' विशुद्ध नैगमनय के अनुसार उसने कहा-“मैं तिर्यग्लोक में रहता हूँ।" की प्रश्नकर्ता ने पुनः प्रश्न किया-“तिर्यगलोक में जम्बूद्वीप आदि स्वयंभूरमण समुद्र
पर्यन्त असंख्यात द्वीप-समुद्र है। तो क्या आप इन सभी में रहते हैं ?' प्रत्युत्तर में विशुद्धतर नैगमनय के अभिप्रायानुसार उसने कहा- "मैं जम्बूद्वीप में रहता हूँ।"
प्रश्नकर्ता ने पुनः प्रश्न किया-"जम्बूद्वीप में दस क्षेत्र हैं, यथा-(१) भरत, (२) ऐरवत, (३) हैमवत, (४) ऐरण्यवत, (५) हरिवर्ष, (६) रम्यकवर्ष, (७) देवकुरु,
(८) उत्तरकुरु, (९) पूर्वविदेह, और (१०) अपरविदेह। क्या आप इन दसों क्षेत्रों में रहते र है?'' विशुद्धतर नैगमनय के अभिप्रायानुसार उसने उत्तर दिया-“मैं भरतक्षेत्र में रहता हूँ।'
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सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
(3207 (324)
Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
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