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अनन्तरागम-जो बिना अन्तर के गुरु आदि से सीधा प्राप्त किया हो वह अनन्तरागम है। तीर्थंकरो के लिए अर्थागम आत्मागम है, गणधरो के लिए सूत्रागम आत्मागम है और तीर्थकरों द्वारा प्राप्त ज्ञान अर्थागम अनन्तरागम है।
परम्परागम-गणधरो के शिष्यो के लिए अर्थरूप आगम परम्परागम है और सूत्ररूप आगम अनन्तरागम है जो सीधा गणधरों से प्राप्त होता है। उनके बाद सब मुनियो के लिए सूत्रागम और अर्थागम-दोनों ही परम्परागम है। परम्परा से प्राप्त सभी ज्ञान परम्परागम है। (अनुयोगद्वार उत्तरार्ध आचार्य श्री आत्माराम जी म , खण्ड २, पृ १९६) प्रमाण सम्बन्धी उक्त चर्चा सार रूप मे निम्न तालिका से समझी जा सकती है--
अनुयोगद्वारगत प्रमाण व्यवस्था
प्रमाण
प्रत्यक्ष
अनुमान
औपम्य
आगम
इन्द्रिय प्रत्यक्ष · नोइन्द्रिय प्रत्यक्ष
लौकिक (अनेक)
लोकोत्तर
।
श्रोत्रेन्द्रिय प्रत्यक्ष चक्षुरिन्द्रिय प्रत्यक्ष घ्राणेन्द्रिय प्रत्यक्ष रसनेन्द्रिय प्रत्यक्ष स्पर्शनेन्द्रिय प्रत्यक्ष
अवधिज्ञान मन पर्यवज्ञान केवलज्ञान |
| १ सूत्रागम २. अर्थागम ३ तदुभयागम १. आत्मागम २ अनन्तरागम ३ परम्परागम
पूर्ववत्
शेषवत्
दृष्टसाधर्म्यवत्
कार्येण
कारणेन
गुणेन
अवयवेन
आश्रयेण
सामान्यदृष्ट
विशेषदृष्ट
साधोपनीत
वैधोपनीत
किंचित्साधोपनीत प्राय साधोपनीत सर्वसाधोपनीत किचित्वैधोपनीत प्राय वैधोपनीत सर्ववैधोपनीत
470. Also, Agam (scriptural knowledge) is of three kinds (1) Sutragam (scriptural knowledge of the text), (2) Arthagam सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
(302)
Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
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