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(५) अणुत्तरोववाइयदेवाणं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पत्नत्ता ?
गोयमा ! अणुत्तरोववाइयदेवाणं एगे भवधारणिज्जए सरीरए, से जहनेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं एक्का रयणी।
(५) (प्र.) भंते ! अनुत्तरौपपातिक देवो के शरीर की कितनी अवगाहना होती है ?
(उ.) गौतम ! अनुत्तरविमानवासी देवों के एकमात्र भवधारणीय शरीर ही होता है। उनकी अवगाहना जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट एक हाथ की होती है। (प्रज्ञापनासूत्र, पद २१ के अवगाहना द्वार में इनका विस्तारपूर्वक वर्णन है।) ___ (5) (Q.) Bhante ! How large is the avagahana (space occupied) by the body of a Deva (divine-being) of the Anuttaraupapatik dimension ?
(Ans.) Gautam ! Anuttaraupapatik gods only have Bhavadharaniya (normal) body. The minimum avagahana (space occupied) of this Bhavadharaniya (normal) body is innumerable fraction of an angul and the maximum is one ratni. (For detailed description of these see Avagahana Dvar of Prajnapana Sutra, Pad 21.) उत्सेधांगुल के भेद और भेदों का अल्पबहुत्व
३५६. से समासओ तिविहे पण्णत्ते। तं जहा-सूईअंगुले पयरंगुले घणंगुले। ___ अंगुलायता एगपदेसिया सेढी सूईअंगुले, सूई सूईए गुणिया पयरंगुले, पयरं सूईए गुणियं घणंगुले।
३५६. वह उत्सेधांगुल संक्षेप से तीन प्रकार का कहा गया है-(१) सूच्यंगुल, (२) प्रतरांगुल, और (३) घनांगुल।
एक अंगुल लम्बी तथा एक प्रदेश चौडी आकाशप्रदेशों की श्रेणी (पंक्ति-रेखा) को सूच्यंगुल कहते है। सूची से सूची को गुणा करने पर प्रतरांगुल निष्पन्न होता है। सूच्युगल से गुणा करने पर प्रतरागुल घनांगुल कहलाता है। KINDS AND COMPARATIVE DIMENSIONS OF UTSEDHANGUL
356. Briefly utsedhangul is said to be of three types(1) Suchyangul (linear angul), (2) Pratarangul (square angul), and (3) Ghanangul (cubic angul). सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
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Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
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