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samudra-sea, ocean ayam-length vishkambh-length and breadth (area) udvedh-depth
(Vrıttı by Haribhadra Suri) प्रमाणांगुल के भेद एवं अल्पबहुत्व ___३६१. से समासओ तिविहे पण्णत्ते। तं जहा-सेढीअंगुले पयरंगुले घणंगुले।। __ असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीओ सेढी, सेढी सेटीए गुणिया पयरं, पयरं सेढीए गुणितं लोगो, संखेज्जएणं लोगो गुणितो संखेज्जा लोगा, असंखेज्जएणं लोगो गुणिओ
असंखेज्जा लोगा। ___३६१. वह (प्रमाणांगुल) संक्षेप मे तीन प्रकार का है-(१) श्रेणी अंगुल,
(२) प्रतरांगुल, तथा (३) घनागुंल। ____ असंख्यात कोडाकोडी योजनों की एक श्रेणी होती है। श्रेणी को श्रेणी से गुणित करने पर प्रतरांगुल और प्रतरागुल को श्रेणी के साथ गुणा करने से (एक) लोक होता है। लोक को संख्येय से गुणा करने पर सख्येय लोक और असंख्येय से गुणा करने पर असंख्येय लोक होते हैं। KINDS AND COMPARATIVE DIMENSIONS OF PRAMANANGUL
361. Briefly pramanangul is said to be of three types(1) Shreni-angul (series-angul), (2) Pratarangul (square seriesangul), and (3) Ghanangul (cubic series-angul).
Innumerable kodakodi (1014) yojans is called Shreni-angul (series-angul). Shreni-angul (series-angul) multiplied by shreniangul (series-angul) is Pratarangul (square series-angul) and pratarangul (square series-angul) multiplied by shrenu-angul (series-angul) is one Lok (occupied space). Lok multiplied by a countable number makes countable Loks and when multiplied by uncountable number it makes innumerable Loks.
३६२. एतेसिणं सेढीअंगुले-पयरंगुल-घणंगुलाणं कतरे कतरेहितो अप्पे वा बहुए वा तुल्ले वा विसेसाहिए वा ?
Rakske.ske.kesathe.akolestonote.ske.kesatssakce.ke.ske.ke.skskskskskske.sleeplesslesale.ke.ke.sle.ke.ske.sler,
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सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
(144)
Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
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