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beings is antar-muhurt (less than one muhurt) and the maximum is one antar-muhurt less twenty two thousand years.
(२) एवं सेसकाइयाणं पि पुच्छावयणं भाणियव्-आउकाइयाणं जाव गो. ! जह. अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं सत्तवाससहस्साई।
सुहुमआउकाइयाणं ओहियाणं अपज्जत्तयाणं तिण्ह वि जहण्णेण वि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं।
बादरआउकाइयाणं जाव गो. ! जहा ओहियाणं।
अपज्जत्तयबादरआउकाइयाणं जाव गो. ! जह. अंतोमुहुत्तं उक्कोसेण वि oh अंतोमुहुत्तं।
पज्जत्तयबादरआउ. जाव गो. ! जह. अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं सत्तवाससहस्साई 9 अंतोमुहुत्तूणाई।
(२) इसी प्रकार से शेष कायिकों (अप्कायिक से वनस्पतिकायिक पर्यन्त) जीवों की स्थिति के विषय में भी प्रश्न जानना चाहिए। अर्थात् जिस प्रकार पृथ्वीकायिक जीवों की स्थिति जानने के लिए प्रश्न किये हैं, उसी प्रकार से शेष कायिक जीवो के विषय में प्रश्न करना चाहिए। उत्तर इस प्रकार है
गौतम ! अकायिक जीवो की औधिक (सामान्य रूप में) जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट स्थिति सात हजार वर्ष की है। ___सामान्य रूप में सूक्ष्म अप्कायिक तथा अपर्याप्त और पर्याप्त अप्कायिक जीवों की जघन्य * एवं उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त प्रमाण है।
गौतम । बादर अप्कायिक जीवो की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति सामान्य अकायिक जीवो के तुल्य जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट सात हजार वर्ष है।
___ गौतम ! अपर्याप्त बादर अप्कायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट * भी अन्तर्मुहूर्त प्रमाण है। ॐ गौतम । पर्याप्तक बादर अप्कायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट
स्थिति अन्तर्मुहूर्त न्यून सात हजार वर्ष की है। 19 (2) The same questions should be asked for the remaining
immobile beings (from Apkayık to Vanaspatıkayık). The answers in
brief are as followsॐ सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
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Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
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