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Therefore the total number of gross physical bodies can only be innumerable They are devoid of the capacities of transmutation and telemigration; therefore they only have mukta varkriya and aharak (abandoned transmutable and telemigratory) bodies and not baddh (bound) ones. The number of their baddh and mukta taijas and karman (bound and abandoned fiery and karmic) bodies is infinite because every individual being has these bodies irrespective of its clumped state. Generally speaking the total number of plant-bodied beings is infinite; therefore the total number of these bodies is also infinite. विकलेन्द्रियों के बद्ध-मुक्त शरीर __४२१. (१) बेइंदियाणं भंते ! केवइया ओरालियसरीरा पन्नत्ता ?
गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता। तं जहा-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य। तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं असंखेज्जा, असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणी-ओसप्पिणीहिं अवहीरंति
कालओ, खेत्तओ असंखेज्जाओ सेढीओ पयरस्स असंखेज्जइभागो, तासि णं सेढीणं ॐ विक्खंभसूयी असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीओ असंखेज्जाइं सेढिवग्गमूलाई; बेइंदियाणं 2 ओरालियसरीरेहिं बद्धेल्लएहिं पयरं अवहीरइ असंखेजाहिं उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीहिं
कालओ, खेत्तओ अंगुलपयरस्स आवलियाए य असंखेज्जइभागपडिभागेणं। मुक्केल्लया
जहा ओहिया ओरालियसरीरा तहा भाणियव्या। ___ वेब्विय-आहारगसरीरा णं बद्धेल्लया नत्थि, मुक्केल्लया जहा ओरालियसरीरा
ओहिया तहा भाणियव्वा।। __ तेया-कम्मगसरीरा जहा एतेसिं चेव ओरालियसरीरा तहा भाणियव्या।
४२१. (१) (प्र.) भगवन् ! द्वीन्द्रियों के औदारिकशरीर कितने हैं ?
(उ.) गौतम ! वे दो प्रकार के हैं। यथा-बद्ध और मुक्त। उनमें से बद्ध औदारिकशरीर असंख्यात हैं। काल की अपेक्षा असख्यात उत्सर्पिणियों और अवसर्पिणियों से अपहृत होते हैं। अर्थात् असंख्यात उत्सर्पिणियों-अवसर्पिणियो के समय जितने है। क्षेत्र की अपेक्षा प्रतर के असंख्यातवे भाग में वर्तमान असंख्यात श्रेणियों के प्रदेशों की राशि प्रमाण हैं। उन श्रेणियों की विष्कंभसूची असंख्यात कोटाकोटि योजनप्रमाण है। इतने प्रमाण वाली विष्कम्भसूची असंख्यात श्रेणियों के वर्गमूल रूप है। द्वीन्द्रियों के बद्ध औदारिकशरीरों द्वारा प्रतर अपहृत किया जाये तो काल की अपेक्षा असंख्यात उत्सर्पिणी-अवसर्पिणी कालों में सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
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Illustrated Anuyogadvar Sutra-
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