________________
a पंचेन्द्रियतिर्यचयोनिकों के बद्ध-मुक्त शरीर
४२२. (१) पंचेंदियतिरिक्खजोणियाण वि ओरालियसरीरा एवं चेव भाणियव्वा। ___४२२. (१) पंचेन्द्रितिर्यंचयोनिक जीवो के भी औदारिकशरीर इसी प्रकार (द्वीन्द्रिय जीवों के औदारिकशरीरों के समान ही) जानना चाहिए। FIVE-SNESED ANIMALS
422. (1) The details about the audarik sharira (gross physical bodies) of five-sensed animals should be read just as the details about the audarik sharira (gross physical bodies) of two-sensed beings.
(२) पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! केवइया वेउव्वियसरीरा पण्णत्ता ? ____गोयमा ! दुविहा पं.। तं.-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य। तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया
ते णं असंज्जा, असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीहि अवहीरंति कालओ, • खेत्तओ जाव विक्खंभसूयी अंगुलपढमवग्गमूलस्स असंखेज्जइभागो। मुक्केल्लया जहा * ओहिया ओरालिया। आहारयसरीरा जहा बेइंदियाणं। तेयग-कम्मगसरीरा जहा
ओरालिया। (२) (प्र.) भगवन् ! पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों के वैक्रियशरीर कितने है ?
(उ.) गौतम ! वे दो प्रकार के हैं-बद्ध और मुक्त। उनमें से बद्ध वैक्रियशरीर असंख्यात हैं, जिनका काल की अपेक्षा असंख्यात उत्सर्पिणी-अवसर्पिणी काल से अपहरण होता है और क्षेत्र की अपेक्षा यावत् (श्रेणियों की) विष्कम्भसूची अंगुल के प्रथम वर्गमूल के असख्यातवें भाग में वर्तमान श्रेणियों जितनी है। मुक्त वैक्रियशरीरों का प्रमाण सामान्य औदारिकशरीरों के प्रमाण तथा इनके आहारकशरीरों का प्रमाण द्वीन्द्रियों के आहारकशरीरों के बराबर है। तैजस्-कार्मणशरीरों का परिमाण औदारिकशरीरों के प्रमाण की तरह है।
विवेचन-यहाँ इतना विशेष जानना चाहिए कि यहाँ त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और पचेन्द्रियो के लिए सामान्य से असख्यात कहा गया है। लेकिन असख्यात के असख्यात भेद होने से विशेषापेक्षा उनकी सख्या मे अल्पाधिकता रहती है। वह इस प्रकार-पचेन्द्रिय जीव अल्प है, उनसे कुछ अधिक चतुरिन्द्रिय, उनसे त्रीन्द्रिय विशेषाधिक, उनसे द्वीन्द्रिय विशेषाधिक और एकेन्द्रिय अनन्त गुणे है। इसलिए उनके शरीरो की असंख्यातता में भी भिन्नता होती है।
(2) (Q.) Bhante ! How many kinds of vaikriya shariras (transmutable bodies) the five-sensed animals are said to have ?
सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
(254)
Illustrated Anuyogadvar Sutra-2 SHerCareerCOMCPONGPOSPEOPORNOTIONARY
OST
NX
*
*
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org