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(३) आहारयसरीर जहा नेरइयाणं।
(३) वैमानिक देवों के बद्ध-मुक्त आहारकशरीरों का प्रमाण नारकों के बद्ध-मुक्त आहारकशरीरों के समान जानना चाहिए।
(3) The details regarding their two kinds of aharak shariras (telemigratory bodies) should be read just as the statement regarding two kinds of aharak shariras (telemigratory bodies) of naaraks (infernal beings).
(४) तेयग-कम्मगसरीरा जहा एएसिं चेव वेव्वियसरीरा तहा भाणियवा।।
से तं सुहुमे खेत्तपलिओवमे। से तं खेत्तपलिओवमे। से तं पलिओवमे। से तं विभागणिप्फण्णे। से तं कालप्पमाणे।
॥सरीरे त्ति पयं सम्मत्तं ॥ (४) इनके बद्ध और मुक्त तैजस्-कार्मणशरीरों का प्रमाण इन्ही के (बद्ध-मुक्त) 9 वैक्रियशरीरों जितना जानना चाहिए। ___यह सूक्ष्म क्षेत्र पल्योपम का स्वरूप है। इसके साथ ही क्षेत्र पल्योपम तथा पल्योपम का स्वरूप भी निरूपित हो चुका। साथ ही विभागनिष्पन्न कालप्रमाण एवं समग्र कालप्रमाण का कथन भी पूर्ण हुआ।
॥शरीरपद प्रकरण समाप्त॥ (4) The details regarding their taijas-karman shariras (fiery and karmic bodies) should be read just as the statement regarding their vaikriya sharıras (transmutable bodies).
This concludes the description of Sukshma Kshetra Palyopam. This also concludes the description of Kshetra Palyopam and Palyopam (metaphor of silo). This concludes the description of Vibhag nishpanna kaal pramana (fragmentary standard of measurement of time) as also the description of Kaal pramana (standard of measurement of time).
END OF THE DISCUSSION ON BODY.
सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
(268)
Nlustrated Anuyogadvar Sutra-2
मपूजन
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