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आकाशप्रदेशो की राशि के तुल्य कहा गया है। ये समूर्छिम मनुष्य प्रत्येकशरीरी होते है, इसलिए गर्भज और समूर्छिम-दोनो के बद्ध औदारिकशरीर मिलकर असख्यात होते है।
यद्यपि जघन्य पद मे सख्यात होने से गर्भज मनुष्यो के औदारिकशरीरो का परिमाण बताया है, किन्तु सख्यात के भी सख्यात भेद होते है। इसलिए संख्यात कहने से निश्चित संख्या का बोध नही होता है। निश्चित सख्या बताने के लिए सख्यात कोटाकोटि कहा गया है और इसका विशेष स्पष्टता के साथ कथन करने के लिए तीन यमल पद से ऊपर और चार यमल पद से नीचे कहा है। इसका आशय इस प्रकार है-शास्त्रीय परिभाषा के अनुसार आठ-आठ पदो की एक यमल पद सख्या है। तीन यमल पद का अर्थ चौबीस अको की सख्या। चार यमल पद का अर्थ बत्तीस अको की सख्या। यहाँ तीन यमल पदो से ऊपर और चार यमल पदो से नीचे कहा गया है। ये संख्यात कोटाकोटि २९ अक प्रमाण होती है। ___इसी बात को विशेष स्पष्ट करने के लिए सूत्र मे दूसरी विधि बताई है। पचम वर्ग से छठे वर्ग को गुणित करने पर जो राशि बनती हो, जघन्य पद मे उस राशि प्रमाण मनुष्यो की सख्या है। तात्पर्य इस प्रकार है कि एक का वर्ग नही होता। एक को एक से गुणा करने पर गुणनफल एक ही आता है, सख्या मे वृद्धि नहीं होने से वर्ग रूप मे गणना नही होती। वर्ग का प्रारम्भ दो की संख्या से होता है। अतः
२ x २ = ४ यह प्रथम वर्ग हुआ। ४ ४ ४ = १६ यह दूसरा वर्ग हुआ। १६ x १६ = २५६ सख्या हुई, यह तृतीय वर्ग हुआ। २५६ x २५६ = ६५,५३६ सख्या हुई, यह चौथा वर्ग हुआ।
६५,५३६ x ६५,५३६ = ४,२९,४९,६७,२९६ (चार अरब उनतीस करोड उनचास लाख सडसठ हजार दो सौ छियानवे) राशि पचम वर्ग की हुई। ___ इस पचम वर्ग की राशि का उसी से गुणा करने पर १,८४,४६,७४,४०,७३,७०,९५,५१,६१६ राशि हुई, यह छठा वर्ग हुआ। ___ इस छठे वर्ग का पूर्वोक्त पचम वर्ग के साथ गुणा करने पर निष्पन्न राशि जघन्य पद मे मनुष्यो की सख्या की बोधक है। यह राशि अको में इस प्रकार है७९,२२,८१,६२,५१,४२,६४,३३,७५,९३,५४,३९,५०,३३६। इन अको की सख्या २९ है, अत. २९ अंक प्रमाण राशि से गर्भज मनुष्यो की संख्या कही गई है।
प्रकारान्तर से तीसरी व्याख्या मिलती है कि उस राशि के छियानवे छेदनकदायी होते है। जो आधे-आधे करते छियानवे बार छेदन (भाग) को प्राप्त हो और अन्त मे एक बच जाय उसे छियानवे छेदनकदायी राशि कहते है। इसको इस प्रकार समझे
प्रथम वर्गफल २ x २ = ४ का छेदन करने से २ छेदनकदायी होते है। जैसे ४ का आधा २ और २ का आधा १। _दूसरा वर्गफल ४ ४ ४ = १६ का छेदन करने से ४ छेदनक होते है। प्रथम ८, द्वितीय ४, तृतीय २ और चतुर्थ १।१६ . २ = ८।८ २ = ४।४ २ = २ । २ . १ = १।
शरीर-प्रकरण
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The Discussion on Body
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