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(उ.) गौतम ! औदारिकशरीर दो प्रकार के है-बद्ध और मुक्त। नैरयिक जीवों के बुद्ध औदारिकशरीर नही होते हैं और मुक्त औदारिकशरीर पूर्वोक्त सामान्य मुक्त औदारिकशरीर के बराबर जानना चाहिए। (सूत्र ४१३ के समान) BODIES OF NAARAKS
418. (1) (Q.) Bhante ! How many kinds of audarik shariras (gross physical bodies) the naaraks (infernal beings) are said to have ? ___ (Ans.) Gautam Audaruk sharuras (gross physical bodies) are of two kinds—baddh (bound) and mukta (abandoned). The naaraks (infernal beings) do not have the baddh (bound with soul) kind. As regards the mukta (abandoned by soul) it should be read just as the general statement regarding audarik shariras (gross physical bodies) (Aphorism 413).
(२) नेरइयाणं भंते ! केवइया वेउब्वियसरीरा पन्नत्ता ? ___ गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता। तं जहा-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य। तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं असंखेज्जा असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणी-ओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ, खेत्तओ असंखेज्जाओ सेढीओ पयरस्स असंखेज्जइभागो, तासि णं सेढीणं विक्खंभसूयी अंगुलपढमवग्गमूलं बितियवग्गमूलपडुप्पण्णं अहव णं अंगुलबितियवग्गमूलघणपमाणमेत्ताओ सेढीओ। तत्थ णं जे ते मुक्केल्लया ते णं जहा ओहिया ओरालियसरीरा तहा भाणियव्वा।। (२) (प्र.) भगवन् ! नारक जीवो के वैक्रियशरीर कितने है ?
(उ.) गौतम ! दो प्रकार के हैं-बद्ध और मुक्त। उनमें से बद्ध वैक्रियशरीर तो असंख्यात है। काल की दृष्टि से असख्यात उत्सर्पिणी-अवसर्पिणी में उनका अपहार होता है। क्षेत्र की दृष्टि से वे प्रतर के असंख्यात भाग में होने वाली असंख्य श्रेणियो के आकाशप्रदेश जितने है। उन श्रेणियो की विष्कम्भ (सूची लम्बाई लिए हुए एक प्रदेश की श्रेणी) अंगुलप्रमाण प्रतर क्षेत्र मे होने वाली श्रेणी के असख्येय वर्गमूल होते हैं। इसलिए प्रथम वर्गमूल को दूसरे वर्गमूल के गुणित करने पर जितनी श्रेणियाँ प्राप्त होती हैं अथवा अंगुल के द्वितीय वर्गमूल के घनप्रमाण श्रेणियों जितनी है। मुक्त वैक्रियशरीर सामान्य से मुक्त औदारिकशरीरों के बराबर जानना चाहिए।
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सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
(238)
Illustrated Anuyogadvar Sutra-2
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