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ॐ सूक्ष्म क्षेत्रपल्योपम-सागरोपम का प्रयोजन
___३९८. एतेहिं सुहुमेहिं खेत्तपलिओवम-सागरोवमेहिं किं पओयणं ? ____एतेहिं सुहुमेहिं पलिओवम-सागरोवमेहिं दिट्ठिवाए दव्वाइं मविज्जंति।
३९८. (प्र.) इन सूक्ष्म क्षेत्रपल्योपम और सागरोपम का क्या प्रयोजन है ?
(उ.) इन सूक्ष्म क्षेत्रपल्योपम और सागरोपम द्वारा दृष्टिवाद में वर्णित द्रव्यों का मान किया जाता है। PURPOSE OF SUKSHMA KSHETRA PALYOGAM AND SAGAROPAM
398. (Q.) What is the purpose of these Sukshma Kshetra Palyopam and Sagaropam ?
(Ans.) Sukshma Kshetra Palyopam and Sagaropam are used to measure the dimension of dravyas (substances) mentioned in Drishtivada (extinct subtle Jain canon).
(पिछले सूत्र में बताया है कि सूक्ष्म क्षेत्रपल्योपम से द्रव्यों का मान किया जाता है। अतः अब उक्त द्रव्यों का स्वरूप बताया जाता है।)
(In the preceeding aphorism it is stated that Sukshma Kshetra * Palyopam is used to quantify entities. Therefore now the details
about entities are given.) अजीवद्रव्यों का वर्णन
३९९. कइविधा णं भंते ! दव्या पण्णत्ता ? __गो. ! दुविहा पण्णत्ता। तं जहा-जीवदव्वा य अजीवदव्या य। ___ ३९९. (प्र.) भगवन् ! द्रव्य कितने प्रकार के हैं ?
(उ.) गौतम ! द्रव्य के दो प्रकार हैं, यथा-जीवद्रव्य और अजीवद्रव्य। NON-SOUL ENTITIES ____399. (Q.) Bhante ! How many kinds of dravya (entities) are said to be there? ____ (Ans.) Gautam ! Dravya (entities) are said to be of two kinds—jiva dravya (soul entity) and ajiua dravya (non-soul entity).
iPRERARIES
सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र-२
(220)
Mustrated Anuyogadvar Sutra-2 Mustro
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